90 के दशक में राममानंद सागर द्वारा निर्मित रामायण के राम अरुण गोविल की तुलना फिल्म आदिपुरुष के राम बने दक्षिण भारतीय अभिनेता प्रभास से की जा रही है। फिल्म आदिपुरुष के गंदे डायलॉग का विरोध हर तरफ हो रहा है। फिल्म को बैन किए जाने की मांग देश के कई कोनों से की जा रही है। इसी बीच बहुत जल्द ही फिल्म के आपत्ति जनक डायलॉग बदल दिए जाएंगे, ऐसी बात फिल्म की पटकथा तथा डायलॉग लिखने वाले मनोज मुंतशिर ने कह दी है।
रामानंद जी की रामायण बनाने का मुख्य उद्देश्य समाज वा देश को धर्म, संस्कार, रीति, नीति, मर्यादा को बढ़ावा देने का रहा था। यह रामायण धारावाहिक टी वी पर प्रसारित होता था।आदिपुरूष फिल्म सिनेमाघरों के लिए बनाई गई है जबकि फिल्म का उद्देश्य अधिक से अधिक लोग सिनेमा घरों में टिकट खरीदकर फिल्म आदि पुरुष देखने जाएंगे, तभी फिल्म का बिजनेस बढ़ेगा। फिल्म की ओपनिंग और कलेक्शन को देखते ही किसी भी फिल्म को ब्लॉक बास्टर, हिट या सुपर हिट का तमगा मिलता है।
फिल्म ज्यादा से ज्यादा लोगो को अपनी ओर खींचे, अपील करे, इसलिए फिल्मों में डायलॉग पटकथा पर खास जोर दिया जाता है।आदिपुरुष के लिए यह काम फिल्म इंडस्ट्री के सफल युवा गीतकार, कवि मनोज मुंतशिर को मिला। जिन्होंने इंडस्ट्री को कई हिट गाने दिए और कई एवार्ड भी जीते। लगता है कि दर्शकों को लुभाने के लिए कवि मुंतशिर ने अपनी लेखन शैली में कुछ अधिक ही नयापन प्रयोग करना चाहा जो कि दर्शकों को बिलकुल नहीं भाया।
क्योंकि ये आम दर्शक नहीं थे, ये राम भक्त है। ये राम की मर्यादा को पसंद करते है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम ही इनके आदर्श है। इन्हे राम की संयमित भाषा शैली ही पसंद है। फिर कोई हनुमान जैसा राम भक्त के मुख से असंयमित अमर्यादित अशोभनीय कैसे पसंद आ सकती है।
राम कथा अपने में बहती है, उसकी अपनी मौज है मस्ती है। जो मर्यादा सिखाती है ना कि किसी का अपमान करती है। रामायण धारावाहिक की कथा में अनावश्यक कोई डायलॉग नही था, गोस्वामी तुलसीदास जी की रामचरित मानस में लिखी चौपाइयों के अर्थ से ही रामायण के प्रसंग आगे बढ़ते हैं, बाल्मिकी रामायण आदि से भी संस्मरण आधारित कथा थी।
रामानंद की रामायण धारावाहिक ने प्रभु श्री राम की भक्ति की धारा को प्रवाह करने का काम किया, आदिपुरुष की भाषा शैली ने विरोध और विद्रोह का काम किया। अगर ये डायलॉग प्रभु श्री राम की भक्ति की भाषा में लिखे जाते तो इनकी अवश्य मिठास फैलती, इन्हें अगर डॉ कुमार विश्वास जैसा राम भक्त लिखता, तो अवश्य ही दूसरी रामायण बन जाती।