जीवन का हर क्षण तथा कण-कण सुन्दर है, अनेक महापुरुषों तथा मनीषियों ने समझा है, जाना है तथा उन्होंने हर पल जिया भी है किसी भी पल को खराब नहीं किया, इसी प्रकार हमें भी अपने जीवन का दर्शन बदलना होगा, अपनी सोच को बदलकर जीवन को देखें तो हमें दिखेगा कि ईश्वर का बनाया हुआ तथा प्रकृति का दिया हुआ हर कण-कण सुन्दर है।
मानव जीवन बड़ा दुर्लभ है और हमें बड़ी मुश्किल से मिला है हमें इस जीवन का कोई भी हिस्सा यूं ही नहीं गंवाना चाहिए। आज अभी और अब जो भी हो रहा है उसमें हम केवल एक पात्र की तरह है और पात्र का कार्य है केवल जीना। किसी फिल्म अभिनेता से एक पत्रकार ने पूछा कि अभिनय और जीवन में क्या अंतर है? तो उत्तर आया कि हमें अपने अभिनय में जीना होता है अपने पात्र को जीवन देना होता है, और जीवन में इसका ठीक उल्टा होता है हमें अभिनय करना पड़ता है, सच भी है कि पूरे जीवन में हर मनुष्य के पास कई तरह के पात्रों को जीना पड़ता है, पहले स्वयं का फिर लड़के का, पति का, पिता का फिर अन्त में दादा, नाना। इन सभी के साथ उसे पूरी तरह का न्याय भी देना होता है कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाये, जीवन को जीना है मस्ती में, मौज में न ही कोई चिंता और ही कोइ फिक्र हर कोई कहता है कि कल किसने देखा? जब कल का कोई भरोसा ही नहीं, कोई गारंटी भी नहीं कि कल क्या हो तो हम आज का बहुमूल्य समय कल की व्यर्थ चिंता में क्यों गंवा दें, बस केवल एक काम कि पूरे मन से हर्षोल्लास से अपने जीवन को जिएं। कल की चिंता नहीं सतानी चाहिए क्योंकि यह आज का मजा खराब कर सकती है, हमें आज में जीना है, कल का काम ईश्वर का है, आज उसने अच्छा दिया, कल भी अच्छा देगा, इसी आशा और विश्वास के साथ हम आज का समय हंसी-खुशी निकालें न कि कल की चिंता के साथ। हमें अपने आप को इस जीवन के सागर में छोड़ देना है जिस तरह सागर की लहरें आती हैं, जाती हैं अपने साथ क्या-क्या बहा ले आती हैं और क्या-क्या बहा भी ले जाती हैं उसी तरह अपने आपको लहरों के हवाले कर दें क्योंकि लहरों के विपरीत चला भी नहीं जा सकता। समर्पण में ही आराम है, आपको पता भी नहीं चलेगा जहां भी ले जाना होगा हम वहां पहुंच जाएंगे। इस तरह कोई विरोध नहीं सब कुछ स्वीकार्य हो ऐसी स्वीकार्य की भावना हो जिसमें कुछ भी तिरस्कृत न हो, सुख और दु:ख हमारे जीवन का हिस्सा मात्र है ये जीवन नहीं बन जाते परन्तु हमने ऐसा मान रखा है कि सुख ही जीवन है। हम सुख के क्षणों को ही केवल भोगना चाहते हैं दु:ख के नाम से मन डरने लगता है। जीवन की यात्रा में हम किसी भी स्थिति को बोझ की तरह न लें, यह मानें कि यह अमुक क्षण आया और चला जाएगा, अपने सिर पर कोई भार या झंझट न रखें । जब और सब कुछ छोड़ ही दिया है तो बिल्कुल खाली हो जाएं, स्वतन्त्र हो जाएं, सब कुछ उस पर अर्थात ईश्वर पर छोड़ दें। एक राहगीर चिलचिलाती गर्मी की दोपहर की धूप में स्टेशन जानें के लिए सड़क के किनारे किसी बस या गाड़ी के इंतजार में खड़ा था, उसके पास एक बड़ा संदूक भी था। काफी देर हो जाने के बाद भी जब उसे कोई भी साधन न मिला तो वह संदूक अपने सिर पर रखकर स्टेशन की ओर पैदल ही चल पड़ा, कुछ दूर चलने पर पीछे से एक जीप आकर उसके पास रुकी, जीप में एक परिवार के लोग बैठे थे, तथा वे लोग भी स्टेशन जा रहे थे। उन्होंने राहगीर से पूछा तथा गाड़ी में आकर बैठने को कहा। राहगीर जीप में बैठ तो गया परंतु अपना संदूक उसने अपने सिर से नहीं उतारा तब जीप में बैठे एक व्यक्ति ने कहा कि अरे भाई अपनी संदूक को तो अब नीचे उतार लो उस राहगीर ने झिझकते हुए कहा कि अरे भइया आपने मुझे जीप में बिठाकर इतना एहसान किया है अब सन्दूक का भी मैं जीप में रख दूं यह मुझे अच्छा नहीं लगेगा इसे ऐसे ही रहने दो। यही हमारे जीवन में भी हो रहा है। एक तरफ तो हम मान रहे हैं कि हमारे जीवन में जो भी हो रहा है वह सब कुछ ईश्वर ही कर रहा है, सबकी बागडोर ऊपर वाले के हाथ में ही है, हम तो बस कठपुतली मात्र हैं फिर भी जीवन के उतार-चढ़ाव को हम अपना तनाव बनाए हुए हैं। हम सबका अपने हिसाब से हल निकालना चाहते हैं तथा इन सबको अपने सिर पर बोझ बनाये हुए हैं, हम दो बातें एक साथ कर रहे हैं एक तरफ तो हम कहते हैं कि जिंदगी उसकी दी हुई है वही सब कुछ करेगा, अच्छा करे तो ठीक, बुरा करे तो वह भी ठीक। एक तो वह कभी बुरा करता नहीं अन्तर यह है कि हमारी महत्वाकांक्षा इतनी अधिक हो जाती है कि हमें अच्छा नहीं लगता। हमनें अपने जीवन में केवल सुख की ही अपेक्षाएं पाल रखी हैं। जरा सा दु:ख आने पर हम इतने दु:खी हो जाते हैं कि अपने आपको तथा अपनी किस्मत को ही कोसने लग जाते हैं। मुख्य बात तो यह है कि दु:ख कहीं हैं नहीं यह केवल सुख की अत्याधिक चाहत व इच्छा ही है, यह इस तरह से भी है कि सु:ख मीठे की तरह है और दु:ख कड़वे स्वाद की तरह। अगर हम जीवन भर केवल सु:ख अर्थात मीठा ही खाते रहें तो एक दिन मीठे की ही पहचान न रह जाएगी क्योंकि इसकी पहचान तभी है जब दु:ख भी है मतलब कड़वा भी है। हम इसको हटा भी नहीं सकते यह दोनों जीवन के दो पहलू है एक तरफ सुख है तो दूसरी तरफ दु:ख। और यह दोनों चालायमान है यह दोनों कभी स्थिर नहीं रह सकते हम इसका एक हिस्सा पकड़कर भी नहीं रख सकते। हमें केवल इतना करना है कि अपने मन की सुई को सु:ख की चाहत से हटानी होगी, फिर जो भी हो हमें उसका स्वागत करना होगा, केवल अपने आपको साक्षी मानकर किसी भी स्थिति को हृदय से अपनाना होगा ऐसा करने से दु:ख की घडिय़ों में भी हमें दु:ख की अनुभूति नहीं होगी। जीवन का हर क्षण तथा कण-कण सुन्दर है, अनेक महापुरुषों तथा मनीषियों ने समझा है, जाना है तथा उन्होंने हर पल जिया भी है किसी भी पल को खराब नहीं किया, इसी प्रकार हमें भी अपने जीवन का दर्शन बदलना होगा, अपनी सोच को बदलकर जीवन को देखें तो हमें दिखेगा कि ईश्वर का बनाया हुआ तथा प्रकृति का दिया हुआ हर कण-कण सुन्दर है। हरी-हरी घास की हरियाली, ऊंचा नीला आसमान, सागर की लहरें तथा बहती हुई ठंडी हवाएं, यह सब कितना अच्छा लगता है, इनको कोई शिकायत भी नहीं क्योंकि यह सब अपना मूल जीवन जी रही हैं, इनमें किसी भी तरह की कोई पीड़ा या कष्ट नहीं अगर हम भी अपने जीवन से मांग हटा दें अर्थात सु:ख की आकांक्षा छोड़ दें तो जो कुछ भी बचेगा। नि:सन्देह उसमें दु:ख की कोई भी जगह न होगी। हमें भी अपना जीवन हर पल, हर क्षण, प्यारा लगने लगेगा, हर एक पल को जी लेने का हमारा मन भी करेगा।
भाई नीरज गोस्वामी की पंक्तियाँ हैं कि-
ReplyDeleteजब तलक जीना है नीरज मुस्कुराते ही रहो।
क्या पता हिस्से में कितनी बच गयी है जिन्दगी।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
muskura ke jio. narayan narayan
ReplyDelete"जीवन का हर क्षण तथा कण-कण सुन्दर है, अनेक महापुरुषों तथा मनीषियों ने समझा है, जाना है तथा उन्होंने हर पल जिया भी है किसी भी पल को खराब नहीं किया, इसी प्रकार हमें भी अपने जीवन का दर्शन बदलना होगा, अपनी सोच को बदलकर जीवन को देखें तो हमें दिखेगा कि ईश्वर का बनाया हुआ तथा प्रकृति का दिया हुआ हर कण-कण सुन्दर है।"
ReplyDeleteसचमुच!!!! लेकिन इसके लिए हमें सबसे पहले अपनी मानसिकता में बदलाव लाना होगा, तभी इस सृ्ष्टि की सुन्दरता को अनुभव कर सकते हैं...
आभार
आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
ReplyDeleteचिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है । लिखते रहीये हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteसुस्वागतम्...
ReplyDeleteअभी सिर्फ़ इतना ही...