Monday, April 19, 2010

देश के रत्न हैं सचिन और अमिताभ


एक तरफ फिल्मों के शहंशाह अमिताभ बच्चन तो दूसरी तरफ से सचिन तेंदुलकर को राष्ट्र मंडल खेलों के प्रचार-प्रसार के लिए उतारा जाय तो नि:संदेह यहां पर भी सफलता के कई रिकॉर्ड बन सकते हैं। दोनों भारत के दो ऐसे नगीने हैं जिनको ब्रांड एम्बेस्डर बनने का मौका देने से भारतीय ताज की चमक दूर देशों में भी जरूर दिखाई देगी।

भारत के लिए यह अपार हर्ष का मौका है कि पहली बार अपने देश को राष्ट्र मंडल खेलों को आयोजित करने का गौरव हासिल हुआ है। दिल्ली में इसी साल अक्टूूबर में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कॉमन वेल्थ गेम्स होने हैं। जिसके व्यापक प्रचार व प्रसार के लिए पूरे कार्यक्रम का ब्रंाड एम्बेस्डर नियुक्त किया जाना है। विज्ञापन बाजार के अनुसार विज्ञापन में लोकप्रिय व अच्छी साख वाले फिल्म स्टार, स्पोटर््स स्टार या मॉडल दिखाई पड़ते हैं। इनकी व्यापक लोकप्रियता के आधार पर ही कंपनियों इन्हें ब्रांड एम्बेस्डर नियुक्त करती हैं। बाजार की यह नई व ताजा गणित को देश की राज्य सरकारें भी अच्छी तरह समझ चुकी हैं, और इसी का परिणाम है कि कुछेक राज्य सरकारें अपने प्रदेश के समुचित विकास के लिए ब्रंाड एम्बेस्डर का चुनाव कर रही हैं। इसी क्रम में पिछले दिनों गुजरात सरकार अमिताभ बच्चन को अपने राज्य का ब्रांड एम्बेस्डर नियुक्त कर चुकी है। राष्टï्रकुल खेल के लिए मोदी सरकार की ओर से अमिताभ बच्चन के नाम की सिफारिश की गई। जिसमें कुछ विरोधाभास के साथ इसका फैसला कॉमनवेल्थ गेम के आयोजन समिति को करना है।
आज खेल और फिल्मी दुनिया जितना लोकप्रिय और कुछ नहीं। अधिकतर लोगों की रुचि क्रिकेट में है और इसी से उसके लोकप्रिय खिलाडिय़ों को विज्ञापन आदि के लिए अनुबंधित किया जाता हैैै। किसी भी कंपनी की व्यापक सफलता व दूर-दूर तक प्रचार-प्रसार का पूरा दारोमदार इन्हीं कलाकारों पर टिका होता है। विज्ञापन का पूरा बाजार कलाकार की लोकप्रियता पर ही आधारित होता है, इसीलिए कंपनियों की पहली पसंद भी वही होता है जिसकी पहुंच व लोकप्रियता दूर-दूर तक हो। ऐसे में राष्ट्र मंडल खेलों के लिए ब्रांड एम्बेस्डर के लिए अमिताभ बच्चन के नाम की सिफारिश को आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी द्वारा ठुकराने की बात का कुछ प्रयोजन समझ से परे लगता है। आज किसी भी कंपनी या उत्पाद का विज्ञापन या प्रचार करवाने के लिए यही कंपनियां सबसे ज्यादा फिल्मी कलाकारों को ही अनुबंधित करते हैं, क्योंकि उनकी बनाई गई लोकप्रियता व साफ-सुथरी छवि पर अपना विश्वास जमा लेते हैं। यूं तो बहुत से ख्याति प्राप्त कलाकार विज्ञापन आदि में काम करते हैं, परंतु अगर इन सबकी लोकप्रियता के स्तर का सही-सही तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो अमिताभ की दर्शकों व प्रशंसकों के बीच बनाई गई मजबूत पैठ सभी पर भारी पड़ जाती है। उनके समकालीन अभिनेताओं से लेकर आज के युवा कलाकार सभी अमिताभ की योग्यता, कार्यक्षमता व ऊर्जा शक्ति का लोहा मानते हैं। वहीं फिल्मी दुनिया में प्रवेश करने वाले आगंतुक तमाम अभिनेता अमिताभ को अपना आदर्श मानते हैं। साथ ही सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में इनकी सहभागिता व रुचि इनके गरिमामयी व्यक्तित्व को और भी महत्वपूर्ण बना देती है। इसी लिहाज से तमाम बड़ी-बड़ी कंपनियों ने अमिताभ बच्चन को विज्ञापन के लिए अपना ब्रांड एम्बेस्डर नियुक्त कर लिया, ताकि उनका प्रोडक्ट व प्रचार हर घर में आसानी से पहुंच सके। इसी तरह पल्स पोलियो अभियान के देश व्यापी प्रचार का जिम्मा भी अमिताभ बच्चन को ही दिया गया। मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के ऐतिहासिक किले की ६०० साल से भी ज्यादा पुरानी गाथा को देश-विदेश से आने वाले पयर्टकों को अपनी सशक्त आवाज के बलबूते रू-ब-रू कराते आ रहे हैं। भारत इसी आधार पर भाजपा के वरिष्ठ नेता व भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष वीके मेहरोत्रा ने अमिताभ बच्चन को कामॅनवेल्थ गेम्स के लिए प्र्रस्तावित किया तो आयोजन समिति के अध्यक्ष नें किसी खिलाड़ी को इसका ब्रांड एम्बेस्डर बनाने पर जोर दिया।
दूसरी तरफ, देखा जाय तो आज क्रिकेट सभी खेलों में लोकप्रिय खेल है। अपने यहां की हर आयु वर्ग का मन लुभावना खेल है। आज करोड़ों लोग क्रिकेट के दर्शक व प्रशंसक है। और उस पर सचिन तेंदुलकर की क्रिकेट तो अब तक बेमिसाल है, लोग सचिन के खेल के दीवाने हैं। हर कोई सचिन को खेलते हुए देखने का लुत्फ लेना चाहता है। सचिन का भी बहुत बड़ा दर्शक वर्ग है, देश-विदेश के दर्शकों के साथ उनके प्रतिद्वंदी भी इनकी कलात्मक बल्लेबाजी का इंतजार करते हैं। सचिन की बढ़ती हुई लोकप्रियता का भी उनके समकक्ष कोई सानी नहीं। क्योंकि अपने बीस साल के क्रिकेट कॅरियर के दौरान सचिन ने ना जाने कितने ही रिकार्ड की बराबरी की और ना जाने कितने ही नये कीर्तिमान रचे। लोकप्रियता के मामले में सचिन भी किसी से उन्नीस नहीं होंगे। एक तरफ फिल्मों के शहंशाह अमिताभ बच्चन तो दूसरी तरफ से सचिन तेंदुलकर को राष्ट्र मंडल खेलों के प्रचार-प्रसार के लिए उतारा जाय तो नि:संदेह यहां पर भी सफलता के कई रिकॉर्ड बन सकते हैं। दोनों भारत के दो ऐसे नगीने हैं जिनको ब्रांड एम्बेस्डर बनने का मौका देने से भारतीय ताज की चमक दूर देशों में भी जरूर दिखाई देगी।

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