Sunday, August 16, 2009

...तब हर तरफ हिन्द की जय और जय भारत होगा


हम सभी देश के सच्चे सपूत व अच्छे नागरिक होने की जिम्मेदारी अपने आप समझते हुये देश के अंदर रहकर ही अन्य कई तरीकों से देश की सेवा कर सकते हैं। हम सब मिलकर एक साथ रहें तथा एक-दूसरे के काम आ सकें, किसी भी असहज स्थिति में भी हममें से कोई भी अपना संयम व धैर्य न खोये बल्कि भारत की एकता व अखंडता को हरदम मजबूत करें तथा देश की तरक्की के लिये अपना बहुमूल्य योगदान दें। सही मायनों में तब हर तरफ हिन्द की जय होगी और जय भारत होगा।

देश की आजादी के लिए कितने ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुये देश की बलिवेदी पर कुर्बान हो गये। उनके दिमाग में केवल देश की आजादी का ही जुऩून था और देश के लिये कुछ कर गुरजने का जज्बा। स्वतंत्रता दिवस के दिन जब पूरे भारत वर्ष में तिरंगा लहरता है, तब पूरा देश उन देशभक्त सेनानियों व सैनिकों के जज्बे को सलाम करता है। मुकाबला चाहे मुगलों से रहा हो या अंग्रेजों से हुआ हो, चाहे सियाचिन का युद्ध हो या फिर कारगिल की कहानी। जब कभी भी देशभक्ति गीतों या फिल्मों में हम अपने सैनिकों को देश के दुश्मनों से लड़ते हुये देखते हैं तो हर हिन्दुस्तानी का खून खौलने सा लगता है, नसें तन जाती हैं, मुठ्ठियां भिंच जाती हैं। तब शहीदों के बलिदान को याद कर दिल यही कहता है कि काश! हमें भी सरहद पर कुछ करने का मौका मिला होता तो हम भी किसी से पीछे नहीं रहते।
देश की रक्षा के लिये तैनात सैनिकों की तरह अपनी माटी पर मर मिटने वालों की कोई कमी नहीं है। फौजियों व सैनिकों का दायित्व है कि देश के हर नागरिक की रक्षा व सुरक्षा मुहैया कराना। ऐसे में हर भारतीय नागरिक का कत्र्तव्य बन जाता है कि हम सब देश के अन्दर की जिम्मेदारी संभालें। अगर हम सैनिक नहीं बन पाये, सरहद पर नहीं पहुंच पाये तो भी जरूरी यह नहीं कि देश की सेवा सरहद पर केवल सैनिक बनकर ही की जा सकती है। अगर हमारे अन्दर देश सेवा की ललक है तो हम अपना काम करते हुये भी देश के सच्चे सेवक बन सकते है। हमारे देश का किसान खेती कर अन्न उगाकर अपनी एक अलग तरह से जिम्मेदारी का निर्वहन करता है। हम उसी का पैदा किया हुआ अन्न खाकर ही पलते व बढ़ते हैं। देश की रक्षा के लिए सरहद पर तैनात फौजियों के लिए भी अनाज किसान की बदौलत ही पहुंचता है। इस तरह किसान भी फसल उगाकर देश की सेवा करता है। अगर एक किसान के कन्धे पर बन्दूक न सही पर वह अपने कन्धे पर हल रखकर अपने देश सेवा के जज्बे को पूरा करता है। देश की प्रगति के दो मजबूत आधार है एक हैं-हमारे देश के जवान यानी कि सैनिक और दूसरा है किसान। इसीलिए हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान-जय किसान का नारा भी दिया। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए एक और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जी ने भी इसी नारे के आगे जय विज्ञान भी जोड़ दिया। क्योंकि विज्ञान की प्रगति के बिना आज किसी भी देश की उन्नति की कल्पना नहीं की जा सकती। इन्हीं वैज्ञानिकों व इंजीनियरों की सोच से ही आज हमारे पास एक से एक नये आधुनिक तकनीक के हथियार व मशीनें हैं। इनके ही द्वारा ईजाद किये हुए नये-नये स्वचलित हथियार सैनिकों के पास हैं, जिनसे वे देश की सरहद पर दुश्मनों से मोर्चा लेने तथा उन पर फतह कर सकने में सफल होते हैं। अगर ये इंजीनियर या वैज्ञानिक सैनिक नहीं बने तो क्या हुआ! ये सब अपने तरीके से देश की सेवा में हमेशा प्रयत्नशील हैं।
देश सेवा में हमारे देश का प्रेस व मीडिया तथा इससे जुड़े पत्रकार बन्धु भी अपनी संवेदनशील जिम्मेदारी के निर्वहन में कभी पीछे नहीं रहते। इन सबकी २४ घंटे की अबाधित सेवा से ही हमें दूर-दराज तथा देश-विदेश की ताजा खबरें टीवी, रेडियो व समाचार पत्रों के माध्यम से हमें मिलती हैं। लोक हित व देश हित के लिए किसी भी संदेश व घटना के बारे में लोगों को अवगत कराना इनके दायित्व में आता है। ये सब देश-प्रेम की भावना से ओत-प्रोत होते हुये अपना काम बखूबी करते जाते हैं। इनको भी सैनिक न बन पाने का दिल में कोई मलाल नहीं, क्योंकि सीमा पर फौजी का हथियार बंदूक है तो देश के अंदर इनका हथियार इनकी कलम, इनका अखबार या इनकी आवाज है। ये देश सेवा के अपने जज्बे को पूरा करते हैं। हमारे देश का लेखक भी सीमा पर डटकर मुकाबला करने वाले सैनिकों से पीछे नहीं रहना चाहता। इसीलिए वह अपनी कलम से देशभक्ति गीत, वीर रस की कविताएं, प्रेरणादायक लेख व रचनाएं लिखता है। जिनको पढ़कर हम अपना सर्वस्व बलिदान करने में पीछे नहीं देखते। इस तरह एक लेखक, पत्रकार, कवि व रचनाकार भी अपनी कलम से देश सेवा में लगा रहता है।
किसी भी संदेश या घटना को हमारे देश में फिल्मों या फिल्मी गीतों के माध्यम से भी अभिव्यक्त किया जाता है। कितने फिल्म निर्माताओं ने देश की एकता व अखंडता के लिये देशभक्ति फिल्मों का निर्माण किया, जिनमें से कुछ को तो देश के अच्छे व सच्चे सपूत का लेबल भी मिला। इसका उदाहरण है कि फिल्म अभिनेता मनोज कुमार को आज भारत कुमार के नाम से जाना जाता है। इस तरह से देश प्रेम के अपने जज्बे को अभिनय से भी दिखाया जा सकता है। हमारे देश के अन्दर काम करनें वाले कई समाजसेवी संगठन ऐसे हैं, जो लोग देश सेवा की सच्ची भावना से ही गरीबों, बेसहारा बच्चों के पोषण, शिक्षा, चिकित्सा व सामूहिक विवाह जैसे कामों में अपना उल्लेखनीय योगदान करके अपने राष्ट्रसेवा के जज्बे को पूरा करते हैं।
हमारे देश के खिलाड़ी भी पूरे विश्व पटल पर अपने खेल से भारतीय परचम को फहराने में पीछे नही हैं। हम सब भारत के नागरिक हैं, हम सबके अन्दर अगर देश सेवा की ललक है तो यह जरूरी नहीं कि इसके लिए केवल सैनिक ही बना जाय, फौजी वाली वर्दी ही पहनी जाय, सरहद पर ही जाया जाय और दुश्मन से ही दो-दो हाथ किये जाए।
हम सभी देश के सच्चे सपूत व अच्छे नागरिक होने की जिम्मेदारी अपने आप समझते हुये देश के अंदर रहकर ही अन्य कई तरीकों से देश की सेवा कर सकते हैं। हम सब मिलकर एक साथ रहें तथा एक-दूसरे के काम आ सकें, किसी भी असहज स्थिति में भी हममें से कोई भी अपना संयम व धैर्य न खोये बल्कि भारत की एकता व अखंडता को हरदम मजबूत करें तथा देश की तरक्की के लिये अपना बहुमूल्य योगदान दें। सही मायनों में तब हर तरफ हिन्द की जय होगी और जय भारत होगा।

1 comment:

  1. आपका हिन्दी ब्लागजगत में स्वागत है।

    लेख अच्छा लगा।

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