Wednesday, October 21, 2009

एक साथ मिलकर दिल से मनाएं दिवाली



आज के इस प्रयोगधर्मी दौर में पारिवारिक एकता को बनाये रखना हम सबके लिए बड़ी मांग है। हम सबकी जिम्मेदारी भी है कि आपसी सामंजस्य को हर हाल में बनाये रखें तथा हर दिल में प्रेम का दिया जलाने का प्रयास करें। तब निश्चित ही सभी लोग एक साथ मिलकर प्रेम भरे दिल से दिवाली मनाएंगे।

१४ साल वनवास काटने तथा रावण को मार विजय श्री प्राप्त करने के बाद भगवान श्री राम के अयोध्या आगमन पर नगरवासियों ने अपने राजा रामचन्द्र जी का पूरे दिल से स्वागत किया। श्री राम की अयोध्या वापसी पर पूरा नगर दीपमालाओं व चमचमाते प्रकाश से जगमगा उठा था। हर ओर खुशहाली व चहल-पहल थी। हर एक के दिल में अपार खुशियां थीं। लोगों ने इस दिन को एक त्योहार के रूप में मनाया। आज पूरे भारत वर्ष में यह दिन दीपावली के महापर्व के रूप में मनाया जाता है। इस प्रकार यह दिन अपार खुशियां, समृद्धि व पारिवारिक एकता का प्रतीक भी है।
रामायण व रामचरित मानस के अनुसार इस दिन के ठीक १४ साल पूर्व अयोध्या के राजा दशरथ की पत्नी कैकेर्ई के मांगे एक वरदान के कारण मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को राज महल छोड़कर वनवास जाना पड़ा था। जिस दिन श्री राम ने अयोध्या छोड़ी, उस दिन पूरी अयोध्या में मातम छाया हुआ था। हर तरफ शोकाकुल माहौल, रोते-बिलखते लोग, आंखों मेंं आंसुओं का सैलाब तथा असहनीय पीड़ा लिए हुए लोगों ने श्री राम को न चाहते हुए भी अयोध्या से विदा किया। यह बहुत ही मर्मस्पर्शी घटना थी। पूरे अयोध्यावासी उस समय असहनीय पीड़ा से गुजरे थे। वहां के लोग श्री राम के बिछुडऩे से इतने दुखी व स्तब्ध थे कि बीमार पडऩे लगे। इसी तरह के असहनीय शोक के कारण राजा दशरथ का कुछ ही दिनों में ही निधन हो गया। अपना वनवास पूरा करने के बाद श्री राम जब १४ साल बाद अयोध्या लौटे तब पूरी अयोध्या में खुशियों की लहर दौड़ पड़ी। लोगों में अति उत्साह था। एक तरफ जहां श्री राम ने चौदह साल इधर-उधर जंगलों में काटे, वहीं पूरे चौदह साल अयोध्यावासियों के दिल में भी गम के बादल छाये रहे। अब मौका था- खुशियां मनाने का, आनंद व मस्ती का। सभी लोगों ने अपने-अपने घरों को खूब सजाया संवारा, सफाई, रंगाई-पुताई व नये-नये कपड़े पहन घरों में दीपमाला जलाकर पूरी अयोध्या को श्रीराम के स्वागत में जगमग कर दिया।
इसीलिए दीपावली का यह पर्व हम सब अपने पूरे परिवार के साथ मनाते हैं। यह त्योहार पारिवारिक एकता का भी सूचक है। एक परिवार के कई लोग अलग-अलग जगह व शहरों में रहते हैं, और इस दिन दूर-दराज स्थानों में रहने वाले सभी लोग एक जगह पूरे कुटुंब के साथ मिलकर बड़े हर्षोल्लास के साथ इस त्योहार का आनंद उठाते हैं। दीपावली का त्योहार पूरे परिवार के एक साथ मिल जुल कर खुशियां मनाने का है। हिंदू संस्कृति में इससे बड़ा दूसरा पर्व और कोई नहीं हैं जो एक साथ इतने उत्साह से मनाया जाता है। देखने वाली बात यह भी है कि अपने देश में बड़े-बड़े कुटुंबों में एक साथ किसी पर्व या अवसर को मनाने की परंपरा मात्र औपचारिकता बनती जा रही है। इसका प्रमुख कारण शायद परिवार का विघटन या टूटते-बिखरते परिवारों की स्थिति है। आज बड़े परिवार कई छोटे-छोटे परिवार में विभाजित हो रहे हैं। देखा यह भी जा रहा है कि ऐसे कुछ खास अवसरों पर भी लोग दिल से मिलकर एक साथ नहीं हो पाते। पहले संयुक्त परिवार की परंपरा को सभी लोग मिलकर एकसाथ निभाते थे, फिर संयुक्त परिवार से एकल परिवार का चलन प्रारंभ हुआ, तत्पश्चात इसके भी हिस्से होना शुरू हो गये। किसी संयुक्त परिवार की संरचना में सबसे बड़ी रुकावट आती है रहन-सहन को अच्छी तरह समझ पाने की कमी। यह हमारी ही कमी है कि हम इसके मतलब को अच्छी तरह नहीं समझ पाये हैं। इस पर गांधी जी ने भी कहा है कि परिवार के सदस्यों की एकजुटता से परिवार मजबूत होता है, परिवार के मजबूत होने से समाज मजबूत होता है और समाज के मजबूत होने से ही देश मजबूत होगा। इसीलिए हर एक परिवार का मजबूत होना अति आवश्यक है। दीपावली का यह पावन पर्व पारिवारिक एकता की इस तरह मिसाल भी है कि जब श्री राम की दूसरी मां कैकेई के पुत्र भरत को राजगद्दी व श्री राम को वनवास मिला था। जब श्री राम ने अयोध्या छोड़ी, उस समय भरत नगर में नहीं थे। वापस आने पर जब उन्हें श्री राम के वनवास जाने का समाचार मिला तो वह बहुत दुखी हुए तथा उन्होंने राज-पाठ नहीं स्वीकारा और वे उसी समय श्री राम को वापस लाने महल से निकल पड़े। वह श्री राम को वापस महल लाने में तो सफल नहीं हुए परंतु उनकी अनुपस्थिति में राज सिंहासन पर उनकी खड़ाऊ को रखकर राज्य का कार्यभार देखा। यह दोनों भाइयों के बीच आपसी प्रेम व एकता की अनूठी मिसाल थी। वहीं श्रीराम की अयोध्या वापसी पर पूरा नगर आज फिर एकजुट था। आज के इस प्रयोगधर्मी दौर में पारिवारिक एकता को बनाये रखना हम सबके लिए बड़ी मांग है। हम सबकी जिम्मेदारी भी है कि आपसी सामंजस्य को हर हाल में बनाये रखें तथा हर दिल में प्रेम का दिया जलाने का प्रयास करें। तब निश्चित ही सभी लोग एक साथ मिलकर प्रेम भरे दिल से दिवाली मनाएंगे।

3 comments:

  1. जहां परिवार टूट रहे हैं वहीं दीपावली जरूर वो मौका उपलब्ध करवाता है जब कई पीढ़ियों के लोग एक साथ मिलकर त्योहार का आनंद लेते हैं। दीप जलाना मतलब आप अपने रिश्तों की मिठास को बढ़ा रहे हैं। ऐसे में कोई दो राय नहीं है कि दीपावली परिवारों को जोड़ने का भी महत्वपूर्ण काम करती है।

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  2. वास्‍तव में , पर्व त्‍यौहार मनाने के पीछे की मूल धारणा यही है .. जो आपने इस आलेख में बताया है .. इसे हमें भूलना नहीं चाहिए !!

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  3. निश्चित ही यह विचारणीय़ है.

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