Saturday, March 13, 2010

हंसना-हंसाना ही है जिंदगी की बड़ी नियामत




हंसना एक मानसिक क्रिया भी है जो हमारे शरीर के साथ मस्तिष्क को भी आराम देती है तथा मन को तरोताजा रखती है। आज आम जिंदगी के बीच हंसी को ढं़ूढऩा बहुत आवश्यक है। उम्मीद करें कि तनाव भरी जिंदगी के बीच हंसने और हंसाने में जितने ज्यादा से ज्यादा पल निकल जाएं, ताकि जीवन हंसी खुशी बीतता चले।

किसी को हंसाना आसान काम नहीं है। इसके लिए बहुत मेहनत व कठिन अभ्यास की जरूरत होती है। किसी फिल्म के हास्य कलाकार, नाटक के कॉमेडी पात्र या फिर हो सर्कस के जोकर- सभी हंसी के दक्ष कारीगर होते हैं। इन सबकी हरकतें दिखने में तो एक बार बेवकूफी भरी दिखती हैं जिन पर हम सब हंसते और लोट-पोट होते हैं फिर भी इनको बेवकूफ समझते हैं। परंतु असली जिंदगी में ये हम सबसे ज्यादा होशियार व काबिल होते हैं जिनके करतबों पर हम सभी जोर-जोर से पेट पकड़कर हंसने को मजबूर हो जाते हैं। इन सबका एक ही लक्ष्य होता है कि किसी भी तरह से अपने दर्शकों को हंसाना और ये कामयाब भी होते हैं।आज की इस तनाव भरी जिंदगी में हंसते रहना जीवन में बड़ी नियामत की तरह से है।
ऐसा जरूरी भी नहीं है कि कोई भी कॉमेडी पात्र अपने कार्यक्रम के दौरान खुशी से ही भरा हो, क्योंकि जिंदगी की परिस्थिति व माहौल हमेशा अपने वश में नहीं होते हैं। इन सबके बावजूद, ऐसे कलाकारों में इतना प्रोफेशनलिज्म होता है कि इनके अंदर का गम व तनाव बाहर नहीं आ पाता है। ये सब बहुत चतुराई व बुद्धिमानी से सभी चीजों को ठीक कर देते हैं और बाहर केवल हंसी के फव्वारे ही छोड़ते हैं। छोटे-बड़े, रंगीन कपड़े व रंगे-पुते चेहरे इन सबके अंदर कलाकार की असली काबिलियत छिपी होती है। जिसे बाहर से देखकर हम इन पर हंसते हैं। दुनिया के महान नाटककार शेक्सपियर ने अपने एक नाटक में कॉमेडी पात्रों को हंसने वालों से ज्यादा होशियार व बुद्धिमान बताया है। कारण भी है क्योंकि किसी को हंसाने के लिए कई तरह की टेक्नीक व तरकीबों का बहुत ही चालाकी से प्रयोग किया जाता है, जो दिखने में तो बेवकूफी भरी हो सकती है और कलाकार बिल्कुल बुद्धू सा दिखता है। असलियत में वह अपनी बुद्धि के बल पर ही हम सबको हंसाता है।
एक तरह से देखा जाय तो जिंदगी की फिलॉसफी भी यही है कि जिंदगी बिना हंसी के अच्छी तरह से नहीं चल सकती है। आज की भागम-भाग व कभी-कभी उबाऊ दिनचर्या तनाव व परेशानियों के साथ-साथ चलती है। ऐसे में हंसी के कारणों व स्थितियों का हमें ही जुगाड़ व व्यवस्था करनी पड़ती है ताकि बाकी की जिंदगी बोझिल न हो जाए। तनाव भरे इस माहौल में हंसना भी कोई हंसी-खेल नहीं रह गया है। शायद इसीलिए जिंदगी को बोरियत से बचाने के लिए तरह-तरह के मनोरंजन जैसे फिल्मों या हास्य नाटकों से हम हंसी की तलाश करते रहे। आज इन हंसी के कार्यक्रमों की बड़ी गंभीरता से जरूरत समझी गई तथा इस तरह से तमाम टीवी चैनलों पर कई तरह के कॉमेडी शो पेश किए गए। ये सभी हास्य कार्यक्रम दर्शकों के बीच खासे पसंद किए गए। कॉमेडी शो आम दर्शकों की थकी-हारी जिंदगी में बिल्कुल ऊर्जावान टॉनिक का काम करती है तथा आदमी इस वक्त अपने सारे दुख-दर्द भूल जाता है। ये हंसी थोड़ी देर के लिए ही सही आम जिंदगी में नई ताजगी लेकर आती है। हंसना हमारे शरीर के अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत उपयोगी औैर जरूरी है। हंसने से ही शरीर में खून की वृद्धि व दौड़ भी ठीक रहती है, जो एक अच्छे स्वास्थ्य की निशानी होती है। आज की लोकप्रिय योग विद्या में भी एक क्रिया हंसने की है। जिसको लोग तेज-तेज से हंसने के अभ्यास के साथ अपने जीवन मे अपना रहे हैं। अभी तक प्राप्त परिणामों से यह जाहिर भी हो चुका है कि हंसने के निरंतर अभ्यास से हमारे शरीर पर सकारात्मक असर पड़ता है।
यूं तो जिंदगी की कोई भी राह आसान नहीं होती है कि पूरे जीवन का सफर ऐसे ही पूरा हो जाय। अगर जिंदगी में हंसी का सहारा मिल सके तो जीवन में आने वाली तमाम दुश्वारियों का सामना करने में कोई दिक्कत नहीं होती। हंसते-हंसते ही जिंदगी के रास्ते को काटने की कला सीखने के साथ दूसरों को थोड़ी देर के लिए ही हंसाने में सफल हो जाएं, आज ऐसे प्रयास करने की आवश्यकता है। हंसने में तो बुद्धि का कोई इस्तेमाल नहीं होता है, जबकि दूसरों को अपनी चतुराई व बुद्धिमश्रा के बल पर ही हंसाया या लोटपोट किया जा सकता है। इसी हंसी की वजह से जिंदगी की बोरियत व बोझिलता भी खत्म होती है। इसी लिहाज से आज लगभग हर कार्यक्रम, सेमिनार, गंभीर वार्ताओं, भाषण या साधु- संतों के प्रवचनों के बीच हंसी की चुटकी छेड़ देने से थोड़ी देर के लिए ही सही वहां पर हंसी का माहौल देखा जाता है। हंसी को इन सबमें शामिल करने का मतलब है कि उपस्थिति श्रोताओं का मन लगा रहे तथा कार्यक्रम को बोरियत व उबाऊ होने से बचाया जा सके। किसी भी प्रोग्राम के बीच हंसी की फुलझड़ी छोड़ देने से लोगों का जुड़ाव बना रहता है। जहां तक सभी लोग लाफ्टर चैम्पियन नहीं होते फिर भी अपनी बात को समझाने के लिए हंसी का प्रयोग करते हैं। किसी बात को सीधे-सीधे समझाने के अलावा हंसी व गुदगुदी के सहारे भी बताया जा सकता है, जो श्रोताओं को आसानी से समझ में आ जाती है। किसी गंभीर बात का संदेश हास्य के साथ व्यंग के रूप में पिरोकर भी दिया जाता है जिससे बात हंसने-हंसाने के साथ सीधे श्रोताओं के दिलों तक पहुंचा दी जाती है। हंसना एक मानसिक क्रिया भी है जो हमारे शरीर के साथ मस्तिष्क को भी आराम देती है तथा मन को तरोताजा रखती है। आज आम जिंदगी के बीच हंसी को ढं़ूढऩा बहुत आवश्यक है। उम्मीद करें कि तनाव भरी जिंदगी के बीच हंसने और हंसाने में जितने ज्यादा से ज्यादा पल निकल जाएं, ताकि जीवन हंसी खुशी बीतता चले।

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