Saturday, March 13, 2010

युवावस्था में ही भरें भविष्य की तस्वीर में रंग



आज ज्यादातर युवा सपनों को सिद्ध करने के लिए शॉर्टकट की तलाश में रहते हैं। कुछ लोगों की सोच ही बिना मेहनत के मंजिल तक पहुंच जाने की हो जाती है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह वाकई संभव है? अगर यह हो सकता तो सफलता के परिणाम को एक कठिन तपस्या या मेहनत का फल नहीं बताया जाता।

केश के गाये हुए एक गीत की लाइन थी- लड़कपन खेल में खोया, जवानी नींद भर सोया और बुढ़ापा देख कर रोया। यही किस्सा पुराना है। इसी बात को पहले कबीर दास जी भी ने भी अपने अंदाज में कहा था। आज दोनोंं की बात का आशय एक ही है। जीवन की सब अवस्थाओं में निर्णायक समय जवानी का ही है। मतलब कुछ कर दिखाने का समय। मेहनत करने का उचित अवसर। अगर यह सुनहरा मौका हमने गंवा दिया, शरीर में आलस्य छाने लगा और मेहनत करने से चूक गए तो आगे चलकर पछताने से भी कुछ नहीं हो पाएगा। क्योंकि इस उम्र में की गई मेहनत ही हमारी पूरी जिंदगी की तस्वीर बदल देती है।
बचपन तो मौज-मस्ती का ही समय होता है। यह जिंदगी का ऐसा पहला दौर है, जिसमें सभी बिना किसी तनाव के अपनी वास्तविक व निजी जिंदगी जीते हैं। दूसरे दौर में आते-आते जीवन के कुछ लक्ष्य निर्धारित हो जाते हैं- जिनमें नौकरी व रोजगार प्रमुख रूप से होते हैं। अब समय आ जाता है कड़ी मेहनत का। बिना कड़ी मेहनत के कुछ भी हासिल नहीं होता। यही वह अवसर होता है जब हमारे मन में किसी भी प्रकार का आलस्य न आने पाये और मन किसी भी शंका से ग्रसित न हो। यह सच है कि ये जिंदगी चुनौती भरी होती है। जिसमें हर कदम पर हमारा कड़ा इम्तिहान भी होता है, फिर भी हमें हर वक्त सजग रहते हुए निरंतर अपने लक्ष्य की और बढऩा होता है। इसलिए मेहनत करने से बचा नहीं जा सकता है, क्योंकि सफलता पाने का निरंतर प्रयास व मेहनत के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। जिनके पास कुछ नहीं था, बस पाने की हसरत ही थी और मेहनत करने से पीछे नहीं हटे, उन्होंने सब कुछ पा लिया। सपना कोई भी हो, मेहनत ही हर जगह रंग लाती है।
आज ज्यादातर युवा सपनों को सिद्ध करने के लिए शॉर्टकट की तलाश में रहते हैं। कुछ लोगों की सोच ही बिना मेहनत के मंजिल तक पहुंच जाने की हो जाती है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह वाकई संभव है? अगर यह हो सकता तो सफलता के परिणाम को एक कठिन तपस्या या मेहनत का फल नहीं बताया जाता। और जिन लोगों ने अपने अटूट परिश्रम के बल पर जो कुछ हासिल किया है वे सब मूर्ख सिद्ध हो गए होतेे। उन सबने बेकार ही इतनी मेहनत की। फिर तो कोई भी आसानी से आइंस्टीन या गैलीलियो बन जाता। मेहनत करना एक तरह से बेवकूफी भरा काम समझा जाता। सच में देखा जाय तो सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, क्योंकि कोई भी शॉर्टकट अपनाने से हमारे काम का रिजल्ट जरूर कटशॉर्ट हो सकता है। इसलिए मेहनत करने से डरने के बजाय अगर हम उसे अपने युवा जीवन में अपना लें तो इसी जीवन में हम सब कुछ हासिल कर सकते हैं।
अपनी युवा उम्र में केवल बैठे-बैठे किसी अवसर का इंतजार करना सुनहरा मौका गंवाने जैसा होता है। कभी-कभी सफलता हमसे कुछ दूर होती है और हमारी भूख को देखती है कि हमारे अंदर सफलता को पाने की कितनी चाहत है। जिसको पाने की ललक होती है, वह वहां तक पहुंच जाता है, किसी भी तरह। बहुत से लोग सफल हो जाते हैं, जो लोग वहां तक जाने की मेहनत नहीं कर पाते हैं, वो वहीं रह जाते हैं। हर एक को अपनी आलस्य की निंद्रा से हर हाल में जागना होगा, नहीं तो आने वाले समय के लिए देर हो जाएगी। जो कुछ हमने पीछे किया, उसका परिणाम आज दिखाई पड़ता है। जो कुछ भी आज कर रहे हैं, वैसा ही परिणाम आगे भी मिलेगा। अगर आज का बहुमूल्य समय किसी भी तरह से नष्ट या बर्बाद हो गया तो भविष्य में पछतावे के सिवा कुछ हासिल नहीं होगा। बुढ़ापे में किसी फसल का बीज बोना लगभग असंभव ही होता है। इसलिए अपने भविष्य की तस्वीर में रंग भरने की जरूरत अभी ही है। अपनी युवा जिंदगी में ही मेहनत करने से लोगों ने अपनी-अपनी मंजिलें पाई हैं। हर एक के युवा मन में जहां जिंदगी के सपने होते हैं वहीं उन्हें पूरा करने व यथार्थ में बदलने के लिए मेहनत करने की सामथ्र्य भी होता है। जरूरत होती है बस सिर्फ इच्छाशक्ति की। किसी भी सफलतम व्यक्ति के बारे में जानने पर अटूट मेहनत ही उसकी सफलता का राज होता है। जिसकी जिंदगी में आलस्य नहीं होता है, वहीं मेहनत होती है। दोनों एकसाथ नहीं रह सकते हंै। आलस्य के होने से जीवन हर प्रकार से दुखी रहता है तथा इससे सकारात्मक परिणाम नहीं देखे जाते, जबकि मेहनत करने से शरीर के साथ विवेक भी हर वक्त जागृत अवस्था में रहता है। शरीर के साथ बुद्धि का सुसुप्त अवस्था में होना अधिक हानिकारक होता है। इसलिए मेहनत करते रहने से दोनों ही सदैव जागे रहते हैं। इसके जागे रहने से ही हमारी जिंदगी की बढ़ती उम्र में कोई भी परेशानी पास नहीं आ पाती है। परिणाम स्वरूप हमें जिंदगी के पुराने किस्से को दोहराने से बचना है। जवानी की मेहनत से ही सफलताओं को अपने नाम कर लिया जाए। जिससे आने वाले समय में कुछ न कर पाने का मन में मलाल भी न रहे और बुढ़ापे में खुशियां भी बांटते चलें।

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