Thursday, June 25, 2009

पॉजिटिव सोच रखें, सफलता चूमेगी आपके कदम


अगर हमने पॉजिटिव सोच रखी तो हमारे निर्णय व कार्य दोनों सकारात्मक हो जाएंगे। अगर नहीं किया तो नकारात्मक इस पर बुरी तरह से हावी हो जाएगा। फिर हम पूरी तरह निगेटिव सोच से घिर जाएंगे। अगर हमारे अन्दर किसी भी तरह की नकरात्मकता का बोध है तो हमें विशेष रूप से अपनी सोच के प्रति सचेत रहना पड़ेगा। धीरे-धीरे नकारात्मक विचारों को कम करना होगा। इन्हें अपने मन से हटाना होगा, क्योंकि यही नकारात्मक विचार हमारे अन्दर निगेटिव एनर्जी भी उत्पन्न करते हैं। साथ ही गलत रास्ते पर चलने को विवश करते हैं।

जैसे-जैसे हम पानी को गर्म करते हैं और पानी का तापमान 100 डिग्री तक पहुंचता है तब पानी खौलने लगता है और फिर वाष्प बनकर उड़ जाता है। जैसे-जैसे पानी का तापमान कम होता जाता है तो पानी ठंडा भी होता जाता है। जीरो डिग्री आने तक पानी जमकर बर्फ में बदल जाता है। पानी की ये दोनों ही स्थितियां केवल डिग्री बदलने पर होती हैं। अक्सर हम लोग अपनी आपस की बातचीत में प्रतिशत का प्रयोग करते हैं जैसे कि हम कहते हैं कि हमारी यह बात सौ फीसदी सच है। हमारी इस कही हुई बात में झूठ का कोई प्रतिशत नहीं है। इसका अर्थ यह हुआ कि अगर इस बात में झूठ का प्रतिशत मिल जाए तो यह बात खरी नहीं होगी। इसी तरह से हमारे जीवन में जो कुछ भी होता है, सब प्रतिशत में होता है। केवल डिग्री के बदलने से ही हमारे जीवन में बदलाव आ जाता है। जैसे सुख आया साथ ही पीछे से दुख का भी कुछ प्रतिशत चला आया। यह कभी-कभी कम प्रतिशत में होते हुए भी सुख पर ज्यादा भारी पड़ जाता है। इस तरह जीवन की हर परिस्थिति में तथा हमारे व्यक्तित्व में भी इसका अहम असर रहता है। हमारे काम करने तथा सोचने का तरीका व हमारा व्यवहार सभी कुछ में प्रतिशत शामिल हो चुका है। जो भी चीज अगर परसेंटेज में कम हो गई तो वह कमजोर हो गई और जिसका परसेंटेज बढ़ गया, वह मजबूत हो गया।
हमारे सोचने के तरीके के भी दो पहलू हैं। एक है सकारात्मक और दूसरा नकारात्मक। अगर हमने पॉजिटिव सोच रखी तो हमारे निर्णय व कार्य दोनों सकारात्मक हो जाएंगे। अगर नहीं किया तो नकारात्मक इस पर बुरी तरह से हावी हो जाएगा। फिर हम पूरी तरह निगेटिव सोच से घिर जाएंगे। अगर हमारे अन्दर किसी भी तरह की नकरात्मकता का बोध है तो हमें विशेष रूप से अपनी सोच के प्रति सचेत रहना पड़ेगा। धीरे-धीरे नकारात्मक विचारों को कम करना होगा। इन्हें अपने मन से हटाना होगा, क्योंकि यही नकारात्मक विचार हमारे अन्दर निगेटिव एनर्जी भी उत्पन्न करते हैं। साथ ही गलत रास्ते पर चलने को विवश करते हैं। हमें देखना होगा कि हम अपने आप में कितने सकारात्मक हैं और कितने नकारात्मक। हम जीवन में किन-किन स्थिति में सकारात्मक निर्णय लेते हैं और कहां-कहां पर नकारात्मक हो जाते हैं। हमें उसी सकारात्मक को हमेशा अपलिट करना है। निगेटिव ऊर्जा पहले हमें ऐसा करने से रोकेगी, हमें थोड़ी कठिनाई होगी लेकिन थोड़े से प्रयास में हो जाएगा। धीरे-धीरे हर स्टेप्स में पॉजिटिव होते जाएं फिर किसी भी स्थिति में कठिनाई नहीं होगी। एक समय ऐसा आएगा, जब आपकी सकारात्मक सोच का लेवल व प्रतिशत बढ़ जाएगा और नकारात्मक का प्रतिशत कम होने लगेगा। आगे एक समय यह पूरी तरह से खत्म हो जाएगा, तब सकारात्मक सोच सौ फीसदी पर पहुंच जाएगी। फिर जीवन के किसी भी पल में तथा किसी भी निर्णय में हम पूरी तरह से सकारात्मक सोच व ऊर्जा से भरे होंगे।
जीवन की यही पॉजिटिव व निगेटिव ऊर्जा ही हमसे अच्छे व बुरे काम करवाती है। एक ही स्कूल के दो छात्र, दोनों क्वालीफाइड, टेलेंटेड व होनहार। परन्तु दोनों में एक के पास पॉजिटिव ऊर्जा थी, इसलिए वह सफल व प्रसिद्ध हुआ। वहीं दूसरा अपनी निगेटिव ऊर्जा के कारण प्रतिभा होने के कारण बावजूद गलत रास्ते में चला जाता है। एक अपना करियर बना लेता है, दूसरा अपना करियर खत्म कर लेता है। ऊर्जा की अपनी एक अलग दिशा होती है। तमाम लोग अच्छी योग्यता रखने के बावजूद निगेटिव सोच के कारण ही क्राइम की दुनिया में चले जाते हैं। वहीं सकारात्मक ऊर्जा वाला व्यक्ति सरकारी अधिकारी या सफल बिजनेसमैन बन जाता है। इसका उदाहरण तो हमारे सामने रामायण काल से ही है कि महापंडित रावण कई वेदों का ज्ञाता था। भगवान शिव की भी तमाम शक्तियां उसे प्राप्त थीं। इतनी योग्यता होने के बाद भी केवल अपनी नकारात्मक सोच व ऊर्जा के कारण ही उसने सीता माता का हरण किया। वह अपनी नकारात्मक जिद पर अड़ा रहा और अन्त में श्रीराम से युद्ध में मृत्यु को प्राप्त हुआ। उसके जीवन की सारी सकारात्मक सोच व ऊर्जा अंत में कम होती गई। जिससे उसका सकारात्मक पक्ष कमजोर हो गया और इस प्रकार वह गलत मार्ग पर चला गया। जब हम अपने जीवन के किसी भी हिस्से में पॉजिटिव होते हैं तो हमारे शरीर के अंदर की तमाम शक्तियां एकत्र होकर समग्र रूप से हमारे साथ होती हैं, जिससे हमारी ताकत कई गुना बढ़ जाती है। इसका उल्टा होने पर हमारा विश्वास हमेशा कमजोर बना रहता है। जिससे हम खुद ही अपनी चीज या टारगेट पाने के प्रति संदेह में रहते हैं। जैसा कि जानते हैं कि कोई भी अच्छा काम करने में कई लोग हमारा साथ देने लगते हैं, वहीं किसी भी गलत काम में हमारी अंतरआत्मा तक हमारे साथ नहीं होती।
हमारा जीवन सदैव एक सा नहीं रहता, हर पल बदलता रहता है। इसी के साथ ही हमारे नजरिये व सोच में भी बदलाव आता जाता है। हमें हर बदलते वक्त व सोच में बहुत सावधान रहना चाहिए। जीवन की हर स्थिति में अपने एटीट्यूट में हमेशा सकारात्मक रवैया ही अपनाएं, क्योंकि जीवन के हर कदम पर हमें दो चीजें दिखाई देती हैं। अच्छाई-बुराई, ईमानदारी-बेईमानी, झूठ-फरेब इन सबमें हमें सकारात्मक पहलू को अपनाकर उनको आत्मसात करना है और उसको सौ फीसदी तक ऊंचाई देनी है ताकि उसके दूसरे पहलू का अस्तित्व ही खत्म हो जाए। जिन व्यक्तियों ने अपने जीवन की हर स्थिति तथा अपने आचरण व व्यवहार में अच्छी बातों को अपनाया, वे जीवन के हर कदम पर सफल हुए और अपनी कामयाबी का झंडा बुलंद किया।

4 comments:

  1. अच्छी जानकारी

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  2. बहुत अच्छा आलेख!
    ये टिप्पणी बैरी वर्ड वेरीफिकेशन हटाएं।

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  3. बहुत आभार इस आलेख के लिए.

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  4. अच्छी बातें बता दी।

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