Friday, July 31, 2009

हौसला रख चलते रहें, मिलेगा तरक्की का टर्निंग प्वाइंट




हर एक के जीवन काल में कभी न कभी अर्पाचुनिटी नामक अवसर आता अवश्य है, दरवाजा भी खटखटाता है, कभी-कभी बहुत धीमे से आवाज सुनाई पड़ती है, और हममें से बहुत लोग इस सुनहरे अवसर को भ्रम समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। और जो लोग इसके संकेत को समझकर अपना लेते हैं, उनके जीवन को नई दिशा मिल जाती है, और यही बन जाता है जीवन का टर्निंग प्वाइंट।


आज का मनुष्य बिल्कुल मशीन हो गया है, वह सुबह से शाम तक मशीन की तरह कार्य करता है। सबकुछ पूरी तरह से सिस्टमैटिक हो गया है, सब की जीवन शैली अपनी जगह सेट हो गयी है। चाहे वह ९ से ५ तक काम करने वाला सरकारी कर्मचारी हो, सुबह ८ से रात १० बजे तक काम करने वाला व्यापारी हो या फिर असीमित समय में काम करने वाला कोई वर्किंग प्रोफेशनल हो, सभी लोग आज जीवन की इसी रस्साकशी में फं सते-जूझते हुए दिखाई दे रहे हैं। हमसब अपने जीवन में हमेशा एक बूम की तलाश में रहते हैं कि कोई मौका ऐसा मिल जाए कि नौकरी में प्रमोशन मिल जाए, कोई अवसर ऐसा हाथ लग जाए कि व्यापार में तरक्की हो जाए, कोई ऐसी परिस्थिति हो जाए कि बॉस की नजरों में भी अपना नाम हो जाए। इसी तरह के ख्यालात, सोच व सपने आजकल लगभग हर काम करने वालों के मन में हैं। हर कोई अपनी वर्तमान तरक्की से खुश व संतुष्ट नहीं है तथा हर एक व्यक्ति भविष्य में आगे बढऩा चाहता है, इसी कारण हर एक आदमी अवसर की खोज करता फिर रहा है। अब अहम बात यह है कि हमको यह अवसर मिलेगा कहां से? कौन इसे हमें देगा? इसका तरीका व रास्ता कौन सा होगा? कौन बतायेगा यह रास्ता? इन सब सवालों के जवाब हमें अपने काम से ही ढूंढऩे होंगे। हमें जो भी कार्य सौंपा गया है, अगर हम उस कार्य को पूरी एकाग्रता व ईमानदारी से करते रहें तो वहीं पर हमको उसके रास्ते का संकेत भी दिखेगा व वहां तक पहुंचने का तरीका भी। बस एक बात हमें पहले ध्यान में ले लेना जरूरी है कि हम अपने साथ पूरी ईमानदारी बरतें, अगर इसमें जरा सी भी लापरवाही या चूक हुई तो फिर आगे बहुत मुश्किल हो जायेगी, क्योंकि हमारे भविष्य का रास्ता हमारे वर्तमान से ही होकर गुजरता है। हम आज जो भी कर रहे हैं भविष्य में हमें उसी का गुणात्मक रूप में प्रतिफल मिलेगा। दूसरी बात यह कि हम अपने कार्य में अपना पूरा समर्पण व त्याग की भावना रखें तथा मेहनत करने से भी पीछे न हटें क्योंकि मेहनत किसी भी कार्य में किये गये इनपुट की तरह होती है और परिणाम उसका आउटपुट। हम अक्सर महसूस करते हैं कि अपने जीवन में एक ही काम को करते-करते ऊब सी होने लगती है। हमारा मन भी थकान का अनुभव करने लगता है क्योंकि हर रोज सुबह से लेकर शाम तक वही काम-एक ही काम। ऐसे में काम करने की ऊर्जा का क्षय होने लगता है, जिससे भविष्य में आगे बढऩा, प्रगति व उन्नति के मार्ग पर पहुंचना बड़ा मुश्किल भरा लगने लगता है। अब सोचिये कि हम जिस कार्य को कर रहे हैं तथा जिस रास्ते पर चल रहे हैं और उसी में ऊब महसूस करने लगेंगे तो आगे का सफर कैसे होगा? हम आगे कैसे पहुंचेंगे? इसको इस बात से समझने का प्रयास करें कि जैसे बचपन में अगर आपने साइकिल चलाई हो, और मान लो कि हमें साइकिल से किसी पुल या पहाड़ी पर चढऩा हो। हम अपनी मेहनत व ताकत से चढ़ाई तक पहुंचते-पहुंचते बहुत थकान का अनुभव करते हैं फिर ऐसा लगता है कि अब आगे साइकिल नहीं चढ़ेगी और ठीक चढ़ाई से पहले जब मुश्किल से चार या पांच पैडल ही लगाने दूर हों तो ऐसा लगता है कि बस अब साइकिल से उतर पड़ो। बस यही चार या पांच पैडल ही चढ़ाई में बहुत महत्वपूर्ण हो जाते हैं। अगर थोड़ी और मेहनत करी, थोड़ी और ताकत दिखाई तब मिल जाता है हमें लाइफ का टर्निंग प्वाइंट। फिर पुल उतरने में मेहनत करने की कोई जरूरत नहीं पड़ती, आगे आराम है पूरा आनंद है। तब समय आ जाता है अपनी की गई मेहनत का लाभ उठाने का। हमारे जीवन में यह जरूरी हो जाता है कि हम अपने किसी भी कार्य को अपनी पूरी सामथ्र्य व सजगता के साथ करें। हम जब किसी भी कार्यक्षेत्र में प्रवेश करते हैं, वह एक बड़े दरवाजे की तरह होता है और जैसे-जैसे हम अपनी कर्तव्यनिष्ठा के साथ आगे बढ़ते जाते हैं तब हमें उस काम की बारीकियों को समझने का भी अवसर मिलता है, जो सफलता के छोटे-छोटे दरवाजे की तरह होते हैं। अब यह हमारे ऊपर है कि हम इनसे कितना सीखकर अपना रास्ता बना लेते हैं और अपनी तरक्की का टर्निंग प्वाइंट ढूंढ़ निकालते हैं। वैसे तो जिंदगी में अपने-अपने कार्यक्षेत्र में चलते-चलते बहुत से रास्ते दिखाई पड़ते हैं, जिनको एकसाथ देखने पर कभी-कभी भ्रम की भी स्थिति हो सकती है फिर मार्ग का सही चुनाव ही हमें अपने अपने लक्ष्य तक पहुंचाता है, नहीं तो बाकी की जिन्दगी अपना मूल रास्ता खोजने में ही लग जायेगी। जिस प्रकार कभी-कभी हम रास्ते की तलाश में चलते-चलते ऐसे रास्ते पर पहुंच जाते हैं जो आगे चलकर बंद हो जाता है, हमें जिसका डेड एन्ड मिल जाता है। ऐसी स्थिति में हम क्या करते हैं कि तुरन्त मार्ग बदलकर वापिस हो जाते हैं और वह भी बिना समय गंवाये। उसी प्रकार हमारी जिन्दगी में भी चलते-चलते कभी-कभी हमें कुछ समझ नहीं आता, आगे सब अन्धकार सा दिखाई देने लगता है और रास्ता खत्म सा मालूम पड़ता है। ऐसी स्थिति में परेशान नहीं होना है और न ही समय नष्ट करना है, बल्कि विवेक व अन्तर्मन से काम लेते हुए केवल 'यू टर्नÓ लेना होता है। टर्निंग प्वाइंट हमारे जीवन के सफर में मील के पत्थर की तरह हमें मिलता है क्योंकि यह हमारे कार्य व रास्ते की सही जानकारी भी देता है। हमें अपने अन्दर साहस व मेहनत की कोई कमी महसूस नहीं होनी चाहिए बल्कि हमेशा पहले से बेहतर इनपुट देने की कोशिश करनी चाहिए। वैसे हर मनुष्य के अन्दर काम करने की अपार क्षमता होती है, इसका उदाहरण है कि हम अपने हर कदम में अपने ही रिकॉर्ड तोड़कर नये बनाते रहते हैं, हम अपनी ताकत व मेहनत का मापदंड स्वयं ही बढ़ाते हैं। यह बिल्कुल इस तरह से है कि जैसे आप अपनी मुट्ठी भींचकर देखें, फिर आप से कहा जाए कि मुट्ठी में और कसाव दें, तो आप महसूस करेंगे कि आपकी हर कोशिश में मुट्ठी और भिंचती जाएगी। यह आपकी कोशिश का ही परिणाम होता है और आपको मिलता है अपनी मेहनत का एक नया टर्निंग प्वाइंट, जिससे हमें यह मालूम होता है कि हममें हर वक्त और ज्यादा मेहनत कर पाने की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। हम अपने रास्ते पर चलते-चलते थक जरूर सकते हैं, परन्तु जरूरत हमेशा इस बात की है कि आगे बढ़ते जाने की इच्छा प्रबल होनी चाहिए, न कि छोटी या बड़ी मुसीबतों के आगे अपने घुटने ही टेक दें। हमारी यही विल-पावर ही हमें सफलता के दरवाजे तक ले जाती है। हमारी व्यवसायिक जिन्दगी के साथ हमारे व्यक्तिगत जीवन में भी अक्सर कुछेक परिस्थितियों के बदलने मात्र से ही जीवन में एक बड़ा बदलाव देखा जा सकता है। पल भर में ही सबकुछ बदल जाता है। कभी अच्छे से बुरा और बुरा से अच्छा। स्थितियां बिल्कुल बदल जाती हैं और इसी टर्निंग प्वाइंट से हमारे जीवन में एक मोड़ आ जाता है। जीवन चलते रहने का ही नाम है, हमारी जिन्दगी के दो फेज़ एक साथ चलते है। एक व्यवसायिक व दूसरा निजी, यह हमारी ही जिम्मेदारी है कि हम इन दोनों को एकसाथ आगे बढ़ाए तथा एक बात और जरुरी है कि हम अपनी व्यवसायिक दुनियां में अपनी पारिवारिक व निजी जिन्दगी को कत्तई धुसनें न दें, बल्कि इन दोनों के बीच एक उचित फासला बनाकर चलें। वैसे भी ये दोनों समानान्तर रास्ते हैं। इनके आपस में मिल जानें से टकराव की स्थिति आ सकती है। इस प्रकार हमें हर वक्त सजग व सचेत रहकर आगे चलते जाना है, यही मानते हुए कि हमारी जिन्दगी की प्रगति का टर्निंग प्वाइंट बस आगे कुछ ही दूर पर है।

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