Tuesday, September 29, 2009

रक्तदान को महादान बनाने के लिए जन जागरुकता जरूरी


कुछ प्रोफेशनल ब्लड डोनर्स ब्लड बैंक के वर्किग स्टाफ के साथ साठ-गांठ से हर महीने या दस-पंद्रह दिन में अपना खून बेचकर रुपए कमाते हैं। इन्हें लोगों की जान की कोई परवाह नहीं, ये सरकारी नियमों का माखौल उड़ाते हैं तथा खून का गंदा खेल कर रहे हैं।

रक्त-दान महादान कहा जाता है। रक्तदान करने वाला महान हो जाता है और रक्त पाने वाले को नया जीवन मिल जाता है। २२ सितंबर स्वैच्छिक रक्त दान दिवस के रूप में मनाया जाता है। देखा जाता है कि इस दिन अनेक समाजसेवी संस्थाएं या ब्लड बैंक स्वैच्छिक रक्त दान व जागरुकता शिविर का आयोजन करते हैं। इनका उद्ïदेश्य लोगों को रक्त दान के प्रति जागरूक करना और जरूरत मंद लोगों के लिए रक्त उपलब्ध कराना होता है। परंतु, कहीं न कहीं रक्त दान करनें से कमजोरी या किसी प्रकार की बीमारी हो जाने की गलतफहमी व भ्रांति अभी भी लोगों की सोच पर हावी है। इसके चलते अभी भी गरीब व किसी जटिल बीमारी से ग्रस्त मरीज को समय पर ब्लड सुलभ तरीके से उपलब्ध नहीे हो पाता।
जब कोई बीमार अस्पताल में रक्त की आवश्यकता व कमी से जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा होता है तब उसका परिवार रक्त की व्यवस्था के लिए दर-दर भटकता फिरता है। ऐसे मौकों पर खास रिश्तेदार, करीबी, दोस्त और जिम्मेदार पड़ोसी भी मुंह फेरने लगते हैं। इस समय तीमारदार परिवार के लिए व्यक्ति की बीमारी से ज्यादा बड़ी समस्या हो जाती है कि किस तरह मरीज के लिए खून की तुरंत व्यवस्था की जाय? सरकारी या गैर सरकारी ब्लड बैंक भी ब्लड एक्सचेंज करके ही खून मुहैया कराते हैं। अत: किसी भी ब्लड बैंक से खून लेने के लिये ब्लड डोनर की आवश्यकता होती है। ऐसे समय में आसानी से कोई भी ब्लड देने के लिये तैयार नहीं होता है। एक-दो यूनिट ब्लड तो किसी भी तरह बिना किसी ब्लड डोनर के खरीदा भी जा सकता है, क्योंकि बगैर एक्सचेंज के एक यूनिट ब्लड की कीमत बहुत ज्यादा होती है। किसी भी जटिल बीमारी या स्थिति में जब ज्यादा ब्लड की आवश्यकता होती है तब डायरेक्ट खरीदना भी साधारण व्यक्ति या किसी पीडि़त परिवार के लिये आसान नहीं होता है। अब सवाल यह है कि इस समय अपने रिश्तेदार, मित्र या पड़ोसी खून देने से आखिर क्यों कतराते हैं? यह कैसी भ्रांति है कि हम किसी को खून देने से कमजोर या बीमार पड़ सकते हैं? जब कि हम यह अच्छी तरह जानते हैं तथा भली-भांति सहमत भी हैं और मेडिकल साइंस की रिपोर्ट भी यही कहती है कि एक स्वस्थ शरीर से एक यूनिट खून निकलने या किसी जरूरतमंद को दान करने से रक्तदाता के शरीर पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव नहीं देखा जाता बल्कि यह हमारे शरीर के तमाम पोषक तत्वों को और तंदुरुस्त करता है तथा शरीर पर किसी भी तरह की कमजोरी भी नहीं होती व कुछ ही दिनों में शरीर में रक्त फिर से तैयार हो जाता है। वही ब्लड डोनर तीन महीने के बाद अपनें शरीर से दुबारा ब्लड निकलवाने या डोनेट करने के योग्य व सक्षम हो जाता है।
स्वैच्छिक रक्तदान व जागरुकता अभियान के लिए सरकार करोड़ों रुपये हर साल खर्च करती है, परंतु इसका व्यापक रूप से प्रचार नहीं हो पा रहा है। शायद इसीलिए लोगों में रक्तदान के प्रति जागरुकता की विशेष कमी देखी जा रही है। आखिर गड़बड़ी कहां पर हो रही है यह भी देखने व समझने की बात है। रक्तदान से होने वाली किसी भी प्रकार की कमजोरी या बीमारी की भ्रामक भ्रांति को दूर करने के लिए स्वैच्छिक रक्तदान शिविर से अधिक रक्तदान जागरुकता पर जोर देना चाहिए तथा लोगों को रक्तदान से शरीर पर होने वाले लाभों को अच्छी तरह से समझाने का भी प्रयास चाहिए। इसी जागरुकता की कमी के कारण ही लोग स्वैच्छिक रूप से रक्त देने के लिए तैयार नहीं हो पा रहे हैं, जिसके कारण सरकारी या गैर सरकारी ब्लड बैंक में पर्याप्त मात्रा में रक्त का स्टाक नहीं हो पाता है। शायद इसीलिए ब्लड बैंक से मिलने वाले खून की कीमत बहुत ज्यादा होती है। किसी आकस्मिक घटना के समय गरीब व सामान्य आदमी के लिए खून की व्यवस्था कर पाना सहज नहीं है, क्योंकि कोई भी ब्लड बैंक बिना किसी ब्लड डोनर के खून नहीं देता है। रक्तदान जागरुकता की कमी के साथ कुछ प्रोफेशनल ब्लड डोनर्स ने अपने शरीर से खून निकलवाने का धंधा बना लिया है, ये लोग ब्लड बैंक के वर्किग स्टाफ के साथ साठ-गांठ से हर महीने या दस-पंद्रह दिन में अपना खून बेचकर रुपए कमाते हैं। इन स्टाफ को भी खून व रक्तदाता के किसी भी मानक व नियम-कानून की कोई चिंता नहीं होती। कई जगहों पर पाया गया है कि इन्हें लोगों की जान की कोई परवाह नहीं, ये सरकारी नियमों का माखौल उड़ाते हैं तथा खून का गंदा खेल कर रहे हैं। लोगों की जिंदगी से खेलकर गंदे व्यापार से ढेरों रुपया कमाना ही इनके जीवन का उद्देश्य बन गया है। आधारभूत बात यह है कि मुख्यत: कमी खून की नहीं बल्कि लोगों में जागरुकता की है। सरकार, समाजसेवी संस्थाएं व ब्लड बैेंक सभी लोग एकसाथ मिलकर रक्तदान जागरुकता अभियान व्यापक तरीके से करें। लोगों में रक्तदान में प्रति जागरुकता व उत्सुकता ही देश में होने वाली रक्त की अनुप्लब्धता को दूर कर सकती है, जब लोग खुद अपनी मर्जी व अर्जी से रक्तदान करने लगे व रक्त के दान का असली पुण्य समझे तब जाकर ही रक्तदान महादान कहलाएगा। -

1 comment:

  1. निगम साब
    बहुत ही प्रेरक पोस्ट. स्वैच्छिक रक्तदान होना चाहिए . आभार

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