Friday, December 4, 2009

विचार से ही बदलती है जिंदगी



सफलता के लिए ठोस कार्य योजना व पूर्व समीक्षा के साथ कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। जैसे किसी बीज को पहले रोपा या बोया जाए तो बीज धीरे-धीरे जमीन के अंदर अपनी जड़ें बनाना शुरू करता है। उसी तरह मस्तिष्क में आया विचार हमारे प्रयास से अंदर ही अंदर बड़ा होता जाता है। अब वह केवल भ्रूण नहीं रह जाता है।

कौन जानता है कि किस पल आने वाला विचार हमारी जिंदगी बदल कर रख देगा! हमारे क्रियाशील मस्तिष्क में हर वक्त नए-नए विचार आते और जाते रहते हैं। इनकी गति बहुत तीव्रगामी होती है। कभी-कभी ये श्रृंखलाबद्ध होते हैं और कभी-कभी इनका आपस में कोई तालमेल ही नहीं होता है। फिर भी किसी व्यक्ति की सफलता में आने वाले इन्हीं विचारों का आधारभूत योगदान होता है। हमारी पूरी की पूरी व्यक्तिगत व व्यवसायिक जिंदगी इन्हीं विचारों पर ही आधारित होती है। किसी एक विचार पर अमल कर के ही कोई व्यक्ति सफल हो जाता है और कोई असफल।
कोई एक विचार अपनी पैदाइश के समय पर बिल्कुल एक बीज या भ्रूण की तरह ही होता है। किसी बीज और फलदार या छायादार वृक्ष के बीच की दूरी व समय ही पूरी कार्य योजना व प्रक्रिया है। यह सब तुरंत नहीं हो जाता है, बल्कि इस बीच हमें ठोस कार्य योजना व पूर्व समीक्षा के साथ कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। जैसे किसी बीज को पहले रोपा या बोया जाए तो बीज धीरे-धीरे जमीन के अंदर अपनी जड़ें बनाना शुरू करता है। उसी तरह मस्तिष्क में आया विचार हमारे प्रयास से अंदर ही अंदर बड़ा होता जाता है। अब वह केवल भ्रूण नहीं रह जाता है। जिस तरह से जब कोई बीज अंकुरित होकर बढऩा प्रारंभ करता है, वैसे ही हमारे विचार से ही जुड़ी सकारात्मक और नकारात्मक बातें जन्म लेना शुरू कर देती हैं। अब यह हमारा काम होता है कि हम अपने विचार को किसी भी नकारात्मक ऊर्जा से बचा कर उसको मजबूत स्थिति में रखें। जिस तरह से हम किसी बीज से बने नवजात पौधे की पूरी देखभाल व रख-रखाव के लिए उसके चारों ओर एक सुरक्षा घेरा बना देते हैं ताकि उस पौधे को कोई भी नष्ट न कर सके। हमारा यह प्रयास होता है कि अब टास्क या लक्ष्य का रूप ले चुके विचार पर किसी भी नकारात्मक ऊर्जा का असर अथवा प्रभाव न पड़ सके। अगर हम देखें तो दोनों को हम एक सी ही परवरिश देते हैं। धीरे-धीरे दोनों का रूप हमारे सामने बड़ा होता दिखाई पड़ता है। और फिर एक दिन वही एक नन्हा सा बीज हम सब के सामने बड़ा फलदार और छायादार वृक्ष बन कर खड़ा हो जाता है। अब हमारा विचार केवल एक विचार की तरह ही नहीं बल्कि एक सफलता के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
एक सेकेंड के अंदर आने वाला कोई विचार ही हमारी पूरी जीवनगति को बदल कर रख सकता है। बशर्ते उस पर पूरा भरोसा रखा जाए तथा उसे पूरा मौका दिया जाए। आइन्सटीन व एडिशन जैसे वैज्ञानिकों के मस्तिष्क में एकाएक जो विचार कौंधा, वह अन्य दूसरों के लिए उतना भरोसेमंद नहीं रहा होगा जितना खुद उनके लिए था। आज तक जितने भी विज्ञान के अविष्कार या चमत्कार हुए, सब किसी न किसी के दिमाग के मूल्यवान विचार की ही उपज है। अगर ये सभी लोग अपने विचार को नजरअंदाज कर देते और असंभव या बेकार जान कर इस पर विश्वास न करते तो आज हम सबको बिजली की रोशनी, मोटर गाड़ी, तीव्रगामी यात्रा, सूदूर वार्ता व चलचित्र जैसी चीजों के नाम ही नहीं मालूम पड़ पाते। इसलिए हमें अपने आते जाते विचारों में से ही अमूल्य या सफलतादायी विचार को पहचानने में तनिक भी देर नहीं करनी चाहिए और समय रहते उसे अपनी कार्य योजना में भी ढाल लेना चाहिए। वैसे भी हमें अपनी व्यक्तिगत व व्यवसायिक जिंदगी के कई ऐसे मौकों पर अपने लक्ष्य को सफल बनाने के लिए तरह-तरह की स्कीमों पर काम करना पड़ता है। हमारे दिमाग में अनेक तरह के विचार व सुझाव आते रहते हैं। जिनमें से कुछ पर हम अमल भी करते हैं और हमें सफलता भी मिलती है तथा कुछ में असफल भी हो जाते हैं। इन्हीं विचारों पर ही हमारे काम करने की प्लानिंग स्टेटजी आधारित होती है और जो हमारी कार्य पद्धति भी बन जाती है। एक विचार किसी भी कार्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसी के अनुरूप चलने से हम सफलता के दरवाजे तक पहुंच सकते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में हमें अपने विचार को पूरा पोषण देने की भी बहुत आवश्यकता होती है ताकि वह कहीं से भी अविकसित न रह जाय और उसका पूरा का पूरा फैलाव भी हो सके। जिस तरह से हम किसी पौधे को उर्वरक देते हैं और पौधा बड़ा होकर एक पेड़ बन जाता है। उसी प्रकार अपने दिमाग में जन्मे किसी विचार को पूरी सतर्कता व सकारात्मकता के पानी से सींचकर तथा उत्साह की खाद डालकर उसको पूरा विस्तार देते हैं ताकि कहीं से भी कोई कोर-कसर न रह जाए। अन्यथा हमारी जरा सी लापरवाही से बहुत नुकसान भी उठाना पड़ सकता है तथा हमारा पूरा उद्देश्य व परिश्रम असफल हो सकता है।
एक विचार तब तक विचार ही रहता है जब तक उस पर अमल न किया जाय, अमल करने के बाद वह सिद्ध व अमूल्य बन जाता है इसलिए हमारी जिंदगी में अच्छे विचारों को सहेजना बहुत आवश्यक हो जाता है। जरूरी यह भी है कि अपने मस्तिष्क में आने वाले अनगिनत विचारों मे से ही सही विचार का चयन कर उस पर पूरा भरोसा भी बना कर रखें और उसे पूरे विकास का माहौल देकर एक ठोस कार्य योजना के तहत सफल कर देने में कोई कसर न छोड़ें।

1 comment:

  1. बहुत ही सही विचारा है आपने।

    आपका यह चिट्ठा हिन्दी में 'व्यक्तित्व विकास' का महत्वपूर्ण स्रोत बने यही अभिलाषा है।

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