Sunday, January 3, 2010

तब जाकर नया साल मुबारक होगा

नया साल हम सबके जीवन में उगते सूरज की किरणों के साथ नया सवेरा व नई कार्य-योजनाएं लेकर आता है। बीते साल की सफलताओं व असफलताओं के बीच हम आने वाले नये साल में नये लक्ष्यों के प्रति द्रढ़ संकल्पित होते है। नये साल में हम सब अपनी ठोस कार्य योजनाओं के अतिरिक्त अपने जीवन में विकास व अहम बदलाव के लिए ‘रेजोल्यूषन‘ भी बनाते है।


आज देष में फैली महॅगाई, भ्रश्टाचार, रोजगार, षिक्षा, उद्योगों व कृशि उत्पादन को बढ़ावा, बाल विकास पुश्टाहार कार्यक्रम का सफल क्रियान्वन के साथ जमीनीं समस्याओं जैसे बिजली, सड़क व पानी की आवष्यकता पूरित करनें की दरकार है। वर्श 2010 में सरकार व सरकारी मषीनीरियां भी अपनी ठोस कार्य योजनाओं को सख्ती से अमल में लानें के लिए एक ‘रेजोल्यूषन‘ के रुप में संकल्प लें तथा इस ओर सफल होनें के लिए प्रभावी कदम उठाना जरुरी होगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि बीते वर्श 2009 में सफलता का सबसे ज्यादा परचम हमारे देष की महिलाओं व इनकी नई युवा पीढ़ी के नाम रहा। फैषन, ग्लैमर वकड़ी में जलवायु मनोरंजन से लेकर प्रषासनिक सेवा या विदेष सेवा तक, खेल के मैदान से लेकर देष की सीमा सुरक्षा तक, गली- नुक्कड़ से लेकर सत्ता के गलियारे तक पहुॅची महिलाओ नें हर जगह अपनी काबिलियत की अद्भुत मिषाल पेष करी। इसी परिवर्तन बिशय पर एक विष्व स्तरीय सम्मेलन में इकट्ठा हुए लोगों को 13 वर्शीय युग रत्ना श्रीवास्तव नें अपने विचारों से मंत्रमुंग्ध कर दिया। जलवायु परिवर्तन मुद्दे पर आयोजित कोपेनहेगन सम्मेलन में भारत के पक्ष में ज्यादा कुछ नहीं रहा, परंतु भारत व अमेरिका के साझे समझौते से फायदे की उम्मीद की जा सकती है। इसके आगे वर्श 2010 सरकार के लिए देष की आधारभूत समस्याओं से निपटने के लिए भरा हुआ है। देष के समुचित विकास में अनेक प्रकार के राश्ट्रीय मुद्दे व समस्याएं प्रगति के पहिये को आगे बढ़ने से रोक देते हैं। इन राश्ट्रीय मुद्दों मे सर्वोप्रमुख महॅगाई है जो आम जनता के जीवन को बद-हाल करती जा रही है। इस बढ़ती हुई भयावह महॅगाई में रोजमर्रा के धरेलू सामानों की आसमान छूती कीमतें निष्चित रुप से कृशि के धटते हुए उत्पादन से जुड़ी हंै। असंतुलित मौसम की मार से जहाॅ फसलें खराब व नश्ट हो जाती हैं वहीं किसान कर्ज में डूब जाता है। इस तरह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है तथा कृशि के कुल उत्पादन में भी गिरावट आती है। देष की बढ़ती हुई आबादी तथा इसकी तुलना में खराब फसलें तथा गिरता हुआ कृशि उत्पादन, यह सब माॅग के नियम को बुरी तरह से प्रभावित करता है। लागत ज्यादा, उत्पादन कम। माॅग ज्यादा, उत्पादन कम। फिर यही कारण बन जाता है मॅहगाई का। और इस प्रकार मॅहगाई का मुॅह सुरसा के मुॅह की तरह खुलता जाता है। दिन- प्रतिदिन बढ़ती महॅगाई ही कहीं हद तक भ्रश्टाचार को बढ़ावा देती है। हमारे यहाॅ की बिजली समस्या आज राश्ट्रीय स्तर की समस्या हो गई है। कोई भी ऐसा षहर नहीं बचा है जो बिजली की समस्या से न जूझ रहा हो। बिजली की समस्या में भी वही कारण सामने आता है जो किसानों व खेती के साथ हुआ। पिछले कई दषको से देष में कोई भी बिजली सयंत्र स्थापित नहीं हो सका। फलस्वरुप, बिजली के पर्याप्त उत्पादन की समस्या खड़ी हो गई। जबकि इसके विपरीत आबादी बढ़नें के साथ बिजली की खपत बहुत हद तक बढ़ गई। इसी कारण अधोशित बिजली कटौती व कम बिजली मिलने से जुड़ी तमाम अन्य समस्याएं सामने आने लगती है। जहाॅ बिजली कम मिलने लगी और उसके दाम ज्यादा होने लगे। बिजली उत्पादन में कमी होनें से औद्योगिक षहरों को भी पर्याप्त मात्रा में बिजली न मिल पाने से इसका सीधा असर उद्योग-धंधों पर पड़ना षुरु हो जाता है। फैक्ट्री प्रोडक्षन कम होना षुरु हो जाता है। इस तरह से धाटा सामने दिखाई देने लगता है। आवष्यकता व माॅग के अनुरुप उत्पादन न हो पाने की वजह से आपूर्ति प्रभावित होती है। जिसका असर रोजमर्रा काम आने वाले धरेलू सामानों की कीमत पर पड़ता है। इसी के साथ जरुरी वस्तुओं की जमाखोरी व कालाबाजारी भी चरम पर पहुॅच जाती है। इन्हीं सब के कारण आज आम आदमी के लिए आम जरुरत की चीजें उसकी पहुॅच से बहुत दूर होती जा रही हैं। षहरों में रहने वाली जनता हो या गाॅव के किसान सभी इन समस्याओं से परेषान दिखते है। खेती के पर्याप्त संसाधन न होनें के कारण अब किसान खेती करने के बजाय षहर की ओर नौकरी-रोजगार की तलाष में भटकता हुआ दिखाई देता है। जिससे भी कहीं न कहीं बेराजगारी का ग्राफ बढ़ जाता है। इन सब समस्याओं के चलते आम जनता को नया साल आखिर कैसे मुबारक र्होगा! यह सच है कि हमारे देष की प्रगति गाॅवों से जुड़ी है। इसलिए हमारे देष की सरकारों को प्रत्येक गाॅव के हर परिवार के प्रति उत्तम षिक्षा व मेडिकल व्यवस्था के लिए द्रढ़ संकल्पित हाना चाहिए साथ ही यह भी सुनिष्चित हो जाय कि हर परिवार का षिक्षा योग्य लड़का-लड़की स्कूल अवष्य जाय। गरीब व असहाय बच्चों की षिक्षा व अस्पताल हर गाॅव में सुलभ रुप से उपलब्ध हो सके तथा बाल विकास पुश्टाहार व सुपोशण जैसे कार्यक्रम निष्चित रुप से चलते रहें। नये साल की बधाई आम जनता को तब होगी जब हमारी सरकारें मॅहगाई को काबू करनें का संकल्प करें। वर्श 2010 में लोगों को आबाधित रुप से बिजली आपूर्ति की व्यवस्था व किसानों और फसलों के लिए हितकर योजनाओं के प्रति द्रढ़ संकल्पित होकर सफल हों। तब जाकर हर एक के लिए नया साल मुबारक होगा।


3 comments:

  1. इसमें से आधा भी हो जाये तो नया साल ही समझो!

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  2. ’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’

    -त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.

    नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'

    कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.

    -सादर,
    समीर लाल ’समीर’

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  3. सार्थक विचार , काश ऐसा हो । नव वर्ष मंगलमय हो

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