Tuesday, August 3, 2010

बलिहारी गुरु आपने राह दियो दिखाये


जीवन में क-ख-ग से लेकर जीवन व प्रकृति से जुड़ी तमाम जानकारी का ज्ञान हमें स्कूल या विद्यालय में गुरु ही कराते हैं। सांसारिक, आध्यात्मिक व विभिन्न धर्मों की शुरुआती शिक्षा स्कूल के शिक्षक ही देते हैं, इसलिए ये हमारे लिए प्रांरभिक गुरु हैं। घरों में माता-पिता बच्चों के घरेलु गुरु कहे गये हैं क्योंकि आचरण व व्यावहारिक शिक्षा का पाठ बच्चे घर से ही सीखना शुरु करते हैं।


जीवन वन में सफलता के लिए गुरु का सानिध्य बहुत आवश्यक है। गुरु के बिना कुछ भी हासिल करना बहुत कठिन होता है। वह हमें सही रास्ता दिखाता है, मार्ग का सही पता न होने पर हम चल तो सकते हैं परंतु भटकाव हो सकता है। इसलिए गुरु को पथ प्रदर्शक भी कहा गया है।
सांसारिक जीवन में आध्यात्मिक गुरुओं का बहुत महत्व है। इसके साथ जीवन के हर कार्यक्षेत्र में भी गुरु का साथ जरूरी है और गुरुजनों के अतुलनीय योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। चाहे वह शुरुआती तौर पर शिक्षा बांटने वाले शैक्षिक गुरु की भूमिका हो या फिर आजकल के कामकाजी माहौल में व्यावसायिक गुरु की। जीवन की हर व्यक्तिगत या व्यावसायिक सफलता में सभी गुरुजनों का अपना अहम किरदार है। प्रारंभिक जीवन में क-ख-ग से लेकर जीवन व प्रकृति से जुड़ी तमाम जानकारी का ज्ञान हमें स्कूल या विद्यालय में शिक्षक ही कराते हैं।
सांसारिक, आध्यात्मिक व विभिन्न धर्मों की शुरुआती शिक्षा स्कूल के शिक्षक ही देते हैं, इसलिए ये हमारे लिए प्रांरभिक गुरु हैं। घरों में माता-पिता बच्चों के घरेलु गुरु कहे गये हैं क्योंकि आचरण व व्यावहारिक शिक्षा का पाठ बच्चे घर से ही सीखना शुरु करते हैं। इस प्रकार माता-पिता बच्चों के नैतिक गुरु कहे जा सकते हैं। जीवन के अगले पड़ाव में जब हम स्कूल-कॉलेज से निकलकर जिंदगी की कर्मभूमि या अपने कार्यक्षेत्र में प्रवेश करते हैं, तब हमें आवश्यकता होती है एक अनुभवी कॅरियर गुरु की। जो हमें समय-समय पर अपनी सही सलाह देकर उचित मार्ग को अपनाने की राय देता है।
हमारी योग्यता का सही आकलन करके अनुकूल लक्ष्य की ओर पथ प्रदर्शित भी करता है। आजकल के व्यावसायिक युग में भी गुरुओं की भूमिका कुछ कम नहीं। इनको व्यावसायिक गुरु की संज्ञा दी गई है। जो हमें अपने काम या व्यापार को बढ़ाने की मार्केटिंग टिप्स व वर्तमान समय की बाजार व्यवस्था तथा योजना के बारे में पूरी जानकारी देते हैं।
किसी भी काम या व्यवसाय में सफलता पाने के लिए इन व्यावसायिक गुरुओं के पास ढेरों फॉर्मूले हरवक्त मौजूद रहते हैं। ये सब अपने कार्यक्षेत्र के विशेषज्ञ के रूप में कार्य करते हैं। सेल्स स्टाफ को विशेष तौर पर तैयार करने के लिए अलग प्रशिक्षक गुरु होते हैं, जो लोगों को बाजार की बारीकी समझाते हैं। सभी व्यावसायिक गुरुओं के पास अपार अनुभव होता है, जिसके प्रयोग से हम अपने काम या व्यापार में तरक्की करते हैं। उम्र की तीसरी अवस्था में सांसारिक सुख व शांति के लिए आध्यात्मिक गुरुओं का सानिध्य व सत्संग को सर्वोच्च समझा गया है। आध्यात्मिक गुरु के बिना ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त करना बहुत कठिन है। ज्ञान के प्रकाश से ही अज्ञानता का अंधकार अपने आप मिट जाता है, साथ ही आत्मीय सुख व अलौकिक शांति का अनुभव किया जा सकता है।
गुरु की कृपा से ही होने वाली अमृत वर्षा से रोम-रोम रोमांचित व प्रफुल्लित हो उठता है। इसलिए ईश्वर का गुणगान करने वाले गुरुओं को देवगुरु भी कहा जाता है। क्योंकि यही गुरु भौतिकवादी मनुष्य व अलौकिक परमात्मा के बीच सेतु की तरह होते हैं। यर्थाथ भी यही है कि संसार छूटने की बारी आने से पहले ही झूठी सांसारिक माया को छोड़कर परमात्मा की सच्ची सत्ता से जुड़ सकें। ऐसा ही ज्ञान हमें अपने आध्यात्मिक गुरु से मिलता है। यही गुरु ही हमारी सांंसारिक नैया का कुशल व अनुभवी खेवैया होता है। भगवान की शरण में ले जाने वाला गुरु ही होता है। एक श्लोक है कि गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागहु पाएं, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय। गुरु को देव से बढ़कर भी बताया गया है, क्योंकि गुरु के बिना भगवान के यहां तक पहुंचने का मार्ग पता नहीं चल पाता। बिना गुरु के परमात्मा से साक्षात्कार बहुत मुश्किल होता है और भगवान को नहीं पाया जा सकता है। हर लिहाज से गुरु और शिष्य का रिशअता सबसे पवित्र व आत्मीय होता है। गुरु चाहे वह किसी भी क्षेत्र से हो, उसका ज्ञान हमेशा अनुकरणीय होता है।
एक बार गुरु मान लेने के बाद उसकी कही हुई बातों में तनिक भी संशय नहीं होता, बल्कि एक विश्वास ही होता है जो हमारी आत्मशक्ति को बढ़ाता है। जिससे जीवन की किसी भी स्थिति से गुजरने की ताकत, साहस व धैर्य भी स्वत: ही उत्पन्न होने लगता है। आगे का कठिन रास्ता उसके अनुकरण से आसान लगने लगता है। सभी गुरुओं के पास ज्ञान और अनुभव की ऐसी अपार गंगा होती है कि जिसके तनिक से जल से ही हम लाभान्वित व उनके अनुग्रहित हो जाते हैं। गुणों से भरे हुए व्यक्ति को गुरु कहा जा सकता है और गुरु किसी भी उम्र का हो सकता है। जो व्यक्ति हमको कुछ सिखला सकता है, वह हमारा गुरु है और हम उसके शिष्य हो जाते हैं।

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