Thursday, August 26, 2010

खुद से खुश रहें, अपने प्रशंसक स्वयं बनें



निजी व व्यक्तिगत जिंदगी में तो निराशा घर कर ही जाती है और जिसका प्रतिफल उसके काम-धंधे में भी देखा जाता है। आगे चलकर ऐसे व्यक्ति अपने आपको बड़े गर्व से नास्तिक बताते हैं। क्योंकि अपने ऊपर विश्वास न होने के कारण ही उनकी भगवान पर भी आस्था नहीं रह पाती। एक बात तय है कि जो लोग खुद पर भरोसा नहीं रखते, भला उन पर दूसरे कैसे भरोसा करें?

उस हिरन की कहानी तो सभी को मालूम है कि जो सुगंध की खोज में पूरे जंगल भटकता धूमता है, जबकि असली खुशबू खुद उसी के पास होती है। इसी तरह आम जिंदगी में भी मनुष्य सुख व शांति के लिए इधर-उधर घूमता-फिरता है, और सच यह है कि असली शांति व सुख मनुष्य के अंदर पहले से ही होता है। मात्र अनुभव की कमी होती है। जरूरत केवल इस बात की है कि हम उस पर ध्यान दें व इसे विकसित कर बाहर निकालें। स्वयं से प्यार करना शुरू करें। अपने आपको प्रेम से इतना भर दें कि चारों ओर प्रेम ही प्रेम बिखर जाये। बाहरी दुनिया में हम देखते हैं कि कोई न कोई व्यक्ति किसी न किसी का प्रशंसक हो जाता है। उसे पसंद करने लगता है तथा उसे अपने जीवन का आदर्श बना लेता है। अपना प्रेरणास्रोत बना लेने से जीवन के लिए ऊर्जा उसे वहीं से मिलती रहती है। इसी के उल्टे, एक व्यक्ति को अपने जीवन से इस कदर खीज उठती है कि वह स्वयं से नफरत करने लगता है। स्थिति यह हो जाती है कि वह धीरे-धीरे निराशावाद में घिरता चला जाता है। उसके जीवन से उत्साह गायब मिलता है। ऐसे व्यक्ति अक्सर किंकर्तव्यविमूढ़ होकर बात-बात पर अपनी ही किस्मत को कोसा करते हैं। सबसे पहली बात तो ऐसा व्यक्ति अपने आपको पहचान नहीं पाता है व अपने अंदर आनंद व खुशी को पैदा करने में भी अक्षम होता है। इसका मूल कारण होता है कि स्वयं से भरोसा उठ जाना। इसका परिणाम यह होता है कि उसकी हर एक बात में नकारात्मकता ही दिखाई पड़ती है। निजी व व्यक्तिगत जिंदगी में तो निराशा घर कर ही जाती है और जिसका प्रतिफल उसके काम-धंधे में भी देखा जाता है। आगे चलकर ऐसे व्यक्ति अपने आपको बड़े गर्व से नास्तिक बताते हैं। क्योंकि अपने ऊपर विश्वास न होने के कारण ही उनकी भगवान पर भी आस्था नहीं रह पाती। एक बात तय होती है कि जो लोग खुद पर भरोसा नहीं रखते, उन पर दूसरे कैसे भरोसा करें? यह बात अपने आप में बहुत महात्वपूर्ण है, क्योंकि कहते हैं कि जो लोग खुद पर विश्वास करते हैं, उन पर सभी लोग भरोसा करते हैं। विश्वास की परंपरा भी यही है कि पहले आप अपने पर विश्वास जमाएं, फिर इसकी छाप दूसरों पर अवश्य ही पड़ेगी। सबसे पहले खुद को पसंद करना पड़ता है, फिर दूसरे पसंद करते हैं। अपना प्रशंसक पहले स्वयं बनना पड़ेगा, बाद में लोग आपकी प्रशंसा करेंगे। वास्तु शास्त्र के अनुसार अपने कमरे में व्यक्ति को अपना एक मुस्कराता हुआ फोटो अवश्य लगाना चाहिए। इसका असर होता है कि जब कभी भी किसी मुसीबत या परेशानी में खुशी के दौर का अपना चित्र देखते हैं, तो एक सकारात्मक व सधन ऊर्जा तुरंत ही महसूस की जा सकती है। ऐसी अनुभूति होने से शरीर की सारी नकारात्मक ऊर्जा, उदासी व निराशावाद अपने आप खत्म होने लगता है। ऐसा अक्सर व लगातार करने से स्वयं से प्यार बढ़ता जायेगा। जैसा कि देखा जाता है कि कभी अच्छे कपड़े पहनने पर या फिर कोई अच्छा काम करने के बाद शीशे के सामने खड़े होने से व्यक्ति को अच्छा अनुभव होता है। ठीक इसी तरह यह अनुभूति भी बढ़ती जाती है। खुद से मोहब्बत होना बहुत जरूरी है, इसके बाद ही खुदा से मोहब्बत का मतलब निकलता है। जिंदगी जीने के लिए तो असीम ऊर्जा की हर दिन आवश्यकता होती है। घरेलू काम से लेकर काम-धंधे तक हर वक्त एक खुशनुमा माहौल की जरूरत होती है। इसके लिए आवश्यक है कि व्यक्ति खुद से खुश रहे। उसके अंदर ही खुशी का अहसास रहे। एक व्यक्ति जो महसूस करता है, बाहरी तौर पर सब उसका गुणनफल ही होता है। अगर उसके अंदर खुशी का भाव है, तो बाहर भी खुशी बढ़ेगी। यदि उसके अंदर दुख या पीड़ा हुई तो निश्चित रूप से वही बढ़ेगी। एक उदाहरण है कि एक व्यक्ति की ऑफिस जाते वक्त किसी बात पर अपनी पत्नी से कहासुनी हो जाती है। इसका असर यह होता है कि आदमी की सबसे पहले टैक्सी वाले से बहस होती है, फिर चपरासी से, सहकर्मियों से व बाद में ऑफिस देर से पहुंचने पर बॉस से झाड़ पड़ती है। पूरा दिन बेकार की बहस में ही निकल जाता है। इस एक घटना से पूरे परिवारजनों का मूड खराब हो जाता है।

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