Thursday, June 3, 2010

हैलो! मैं आपकी आत्मा हूं मेरी आवाज सुनो


पूरे समय अगर हम सचेत व सजग रहें तो हम पाते हैं कि हमारे अंदर से एक आवाज आती है जो हमें पुकारती है। उसकी आवाज में अच्छे कार्यों को करने की प्रेरणा होती है व बुरे काम को करने से रोकती है तथा स्पष्ट रूप से मना करती है। हम महसूस करते हैं कि एक पल में वह अपना आदेश देती है। जिंदगी का यह क्षण बहुत नाजुक होता है, फैसला लेने की आवश्यकता होती है। एक निर्णय में जिंदगी बदल सकती है।

आज मोबाइल व फोन के बहुत यूजर हैं, ज्यादातर लोगों के पास फोन की सुविधा है। जिसमें दिनभर तमाम कॉलें आती हैंै। घंटी बजती है, फोन उठाकर बातचीत होती है। हम अपने फोन को हमेशा अपने नजदीक रखते हैं ताकि आने वाली किसी कॉल की घंटी हमें आसानी से सुनाई पड़ सके। परंतु, क्या हमने कभी सोचा या गौर किया है कि हमारी आत्मा भी हमें बीच-बीच में कॉल करती है, हमें पुकारती है। उसके बुलाने की घंटी ऐसी होती है कि हम सजग रहें तभी हम उस पर ध्यान दे पाते हैं, नहीं तो उसकी कॉल मिस्ड कॉल बनकर रह जाती है। एक अनुत्तरित कॉल हो जाती है, इस तरह से हमारे जीवन के लिए अन्तर्रात्मा की एक जरूरी व महात्वपूर्ण कॉल छूट जाती है। हमारी आत्मा बिल्कुल ठीक समय पर अपना संदेश हमें भेजती है। यह हमारी आत्मा की तरफ से आने वाले एसएमएस होते हैं, जिनको ध्यान से पढऩा बहुत जरूरी होता है और उससे अधिक आवश्यक होता है उस पर अमल करना। सिर्फ ढेर लगाने से या दूसरों को मैसेज फॉरवर्ड करने मात्र से अपना फायदा नहीं हो सकता है। जिस तरह से तमाम फोन कंपनियां हरएक छोटे-बड़े धार्मिक त्योहार, राष्ट्रीय पर्व या अन्य किसी अवसर पर एसएमएस भेजा करती हैं। उसी प्रकार हमारे शरीर के अंदर की आत्मा भी हमें हर एक छोटी-बड़ी सुख या दुख की घड़ी में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से अपने मैसेज भेजती है। एक झटके में अनुभव हो जाता है कि हमें अचानक कुछ नया मिल गया। समय रहते हमने इस पर अमल कर लिया, तो उस समय अविस्मरणीय अनुभूति के स्वामी हो जाते हैं। पूरे समय अगर हम सचेत व सजग रहें तो हम पाते हैं कि हमारे अंदर से एक आवाज आती है जो हमें पुकारती है। उसकी आवाज में अच्छे कार्यों को करने की प्रेरणा होती है व बुरे काम को करने से रोकती है तथा स्पष्ट रूप से मना करती है। हम महसूस करते हैं कि एक पल में वह अपना आदेश देती है। जिंदगी का यह क्षण बहुत नाजुक होता है, फैसला लेने की तुरंत आवश्यकता होती है। एक निर्णय में ही पूरी जिंदगी बदल सकती है व सफल हो जाती है। किसी भी तरह का टालमटोल करने पर हमको कोई फायदा नहीं मिलता। अब यह हमारे ऊपर है कि हम उसकी कॉल को जरूरी मानकर अक्षरश रिसीव करते हैं या नकार तो नहीं देते हैं। वैसे इसमें भी कोई दोराय नहीं है कि आज इंसान इस कदर व्यस्त होता जा रहा है कि एक पल भी अपने लिए नहीं रख पा रहा है कि वह स्वयं से बातचीत कर सके। बाहरी लोगों से खूब बात होती है। हर वक्त इंगेज रहते हैं पर स्वयं की अपनी आत्मा से कनेक्टीविटी नहीं बन पाती। अगर कोई बात सुनाई भी पड़ी, तो हिम्मत नहीं बन पाती कि उस बात का पालन व अनुकरण किया जाय। रास्ता कठिन लगता है, प्राय: आसान वाला रास्ता चुन लिया जाता है। जबकि सच्चाई यह है कि अगर उसके बताये गये रास्ते पर हम चलें तो आगे बढऩे की शक्ति भी वही देता है, फिर अच्छे बुरे की सब जिम्मेदारी उसी की बन जाती है। वही सब कुछ संभालता है। वह अपनी आवाज में कहता है कि केवल तुम इतना करो, बाकी सब मैं करूंगा। केवल पहली बार साहस दिखाने की आवश्यकता है, फिर इसकी भी कमी नहीं रहती। इसके बाद तमाम ऊर्जा व असीम शक्ति भी हम अपने अंदर महसूस करते हैं। जब तक अंदर से आने वाली आवाज को स्वीकार नहीं किया जाता, केवल तब तक वह कमजोर लगती है। एकबार भरोसा रखकर उसपर काम करने से ही उसकी असली शक्ति व मजबूती को आंका जा सकता है तथा अपने अंदर नई ताकत का तर्जुबा होता है। प्राय: मोबाइल पर मिस्ड कॉल को डायल कर छूटी हुई कॉलों पर बात करी जाती है। वहीं पर आत्मा की अनसुनी कॉल को फिर से सुनने के लिए चिंतन आवश्यक है। जिससे उसके द्वारा भेजे गये सभी संदेश व बातें स्पष्ट हो जाती हैं। चिंतन करने से किसी भी प्रकार की दुविधा व असमंजस की स्थिति स्वत: ही खत्म हो जाती है चिंतन का अभ्यास हमें आत्मा की स्पष्ट छवि महसूस कराता है तथा एक सही मार्ग दिखलाई पड़ जाता है। स्वयं के जागृत रहने से आत्मा भी जागी रहती है और आत्मा का सजग रूप ही परमात्मा है। सभी के शरीर में आत्मा का वास है। शारीरिक संचेतना व मन की निश्छलता से ही सजग आत्मा के साथ परमात्मा का भी सानिध्य प्राप्त हो जाता है। आत्मा एक जागृत प्रहरी का भी काम करती है। हमें जगाती है, सचेत करती है। हमें भटकाव से भी बचाती है। इसके समय पर बजने वाले अलार्म की आवाज को बहुत तवज्जो देने की आवश्यकता होती है।

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